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USA: पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर का 100 साल की उम्र निधन, हरियाणा के इस गांव से रहा है खास नाता

December 30, 2024

वॉशिंगटन। अमेरिका (America) के 39वें राष्ट्रपति (39th President) रहे जिमी कार्टर (Jimmy Carter) का 100 साल की आयु (100 years Age) में निधन हो गया है। उनका लंबे समय से इलाज चल रहा था। उनकी पत्नी रोसालिन का नवंबर 2023 में निधन हुआ था। उनके निधन पर राष्ट्रपति जो बाइडेन (President Joe Biden) ने शोक जताते हुए कहा कि दुनिया ने एक बड़ा नेता खो दिया है। वह बड़े मानवतावादी थे। बाइडेन ने कहा कि कार्टर उनके दोस्त थे। बता दें कि जिमी कार्टर की पहचान गरीबों और वंचितों की सेवा, उनके अधिकारों की वकालत और अमेरिका में निष्पक्ष चुनाव के लिए कड़े कदम उठाने वाली शख्सियत के तौर पर है। जिमी कार्टर का हरियाणा के एक गांव से खास नाता रहा है।


जिमी कार्टर पिछले कुछ दिनों से मेलानोमा बीमारी से पीड़ित थे। यह स्किन कैंसर का ही एक रूप होता है। बताया जाता है कि बीमारी की वजह से उनकी दिमाग और लिवर तक डैमेज हो चुका था। 2023 में ही उन्होंने फैसला लिया है कि अब घर पर ही उनका इलाज किया जाएगा। घर पर ही डॉक्टरों और नर्सों की मौजूदगी में उनका इलाज चल रहा था। बता दें कि राष्ट्रपति पद छोड़ने के बाद भी वह मानवता के कार्यों में लगे रहे और इसलिए 2002 में उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया था।

जिमी कार्टर के बेटे चिप कार्टर ने कहा कि वह मेरे लिए ही नहीं बल्कि आम जनता के भी हीरो थे। वह लोगों से निस्वार्थ प्रेम करते थे और मानवता की सेवा में ही अपना जीवन लगा दिया। वह पूरे विश्व को ही परिवार की नजर से देखते थे। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने दुख जताते हुए कहा कि कार्टर ने सबको सेवा, न्याय, विनम्रता का पाठ पढ़ाया। हम लोगों ने एक महान शख्स से बहुत कुछ सीखा और उनसे प्रेम करने की सीख ली।

जिमी कार्टर का न्म 1924 में एक किसान के घर में हुआ था। 1960 में उन्होंने राजनीति में कदम रखा। 1946 में उनकी शादी हुई थी। पहले वह नौसेना में थे लेकिन बाद में उनका रुख राजनीति की तरफ हुआ। कार्टर ने करीब 30 किताबें लिखी हैं। 1971 में वह गवर्नर बने और 6 साल बाद रिपब्लिकन पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया।

जिमी कार्टर ने भारत आने पर ‘कार्टरपुरी’ का दौरा भी किया था
जिमी कार्टर (Former US President Jimmy Carter) भारत आने वाले तीसरे अमेरिकी राष्ट्रपति थे। जिमी कार्टर का भारत से खास नाता रहा है और जब वे भारत दौरे पर आए थे तो हरियाणा के एक गांव भी गए थे। जिमी कार्टर के सम्मान में उस गांव का नाम बदलकर उनके नाम पर रख दिया गया था। जिमी कार्टर का रविवार देर रात 100 साल की उम्र में निधन हो गया। जिमी कार्टर अमेरिकी इतिहास के सबसे लंबे समय तक जीवित रहने वाले राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति जो बाइडन ने जिमी कार्टर के निधन पर शोक जताते हुए कहा कि आज अमेरिका और दुनिया ने एक असाधारण नेता, राजनेता और मानवतावादी खो दिया है।

हरियाणा के गांव से है खास नाता
जिमी कार्टर ने भारत दौरे पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के साथ दिल्ली घोषणापत्र पर हस्ताक्षर किए थे। इस घोषणा पत्र के साथ ही भारत और अमेरिका के बीच संबंधों का नया दौर शुरू हुआ था। जिमी कार्टर सेंटर के अनुसार, 3 जनवरी, 1978 को कार्टर और तत्कालीन प्रथम महिला रोजलिन कार्टर नई दिल्ली से एक घंटे की दूरी पर स्थित हरियाणा के दौलतपुर नसीराबाद गांव गए थे। दरअसल जिमी कार्टर की मां लिलियन ने 1960 के दशक के अंत में पीस कॉर्प्स के साथ एक स्वास्थ्य स्वयंसेवक के रूप में इस गांव में काम किया था। जिमी कार्टर के गांव आने और उनके गांव से संबंध के बाद गांव के लोगों ने कार्टर के सम्मान में गांव का नाम बदलकर कार्टरपुरी कर दिया था।

भारत-अमेरिका साझेदारी के युग की शुरुआत की
जिमी कार्टर सेंटर ने एक बयान में कहा है कि कार्टर के भारत दौरे ने ही भारत-अमेरिका की स्थायी साझेदारी की नींव रखी, जिससे दोनों देशों को फायदा हुआ। कार्टर सरकार के बाद से अमेरिका और भारत के बीच ऊर्जा, मानवीय सहायता, प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष सहयोग, समुद्री सुरक्षा, आपदा राहत, आतंकवाद विरोधी आदि क्षेत्रों में मिलकर काम किया है। 2000 के दशक के मध्य में, संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत ने पूर्ण असैन्य परमाणु सहयोग की दिशा में काम करने के लिए एक ऐतिहासिक समझौता किया था और तब से द्विपक्षीय व्यापार में भारी वृद्धि हुई है।

साल 2010 में, वाशिंगटन डीसी में पहली यूएस-इंडिया स्ट्रैटेजिक डायलॉग हुई, जिसमें राष्ट्रपति बराक ओबामा ने ‘अभूतपूर्व साझेदारी’ की शुरुआत की। कार्टर प्रशासन से लेकर बाइडन प्रशासन तक अमेरिका-भारत संबंधों का दायरा गहरा हुआ है। साल 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान तत्कालीन राष्ट्रपति निक्सन के पाकिस्तान के प्रति झुकाव के कारण भारत-अमेरिका के संबंधों में तनाव आ गया था, लेकिन जिमी ने तेजी से विकसित हो रही वैश्विक व्यवस्था में एक लोकतांत्रिक भागीदार के रूप में भारत के साथ फिर से जुड़ने के महत्व को समझा।

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