वाशिंगटन। ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा (H-1B visa) की चयन प्रक्रिया को संशोधित करते हुए इसमें मौजूदा लॉटरी प्रक्रिया की जगह वेतन और कौशल को प्राथमिकता दी है। इस संबंध में एक अधिसूचना संघीय रजिस्टर में प्रकाशित हुई और यह 60 दिनों में लागू होगी। एच-1बी गैर-आव्रजक वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को विशेषज्ञता वाले पदों पर विदेशी पेशेवरों की नियुक्ति की अनुमति देता है। इस वीजा के जरिये अमेरिकी प्रौद्योगिकी कंपनियां हजारों की संख्या में भारत और चीन के पेशेवरों की नियुक्ति करती हैं।
एच-1बी वीजा के लिए आवेदन करने का अगला सत्र एक अप्रैल से चालू होगा। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में दो सप्ताह से कम समय बचा है और ऐसे में यह अधिसूचना, अमेरिका में प्रवासियों के प्रवेश को रोकने की ताजा कोशिश मानी जा रही है। हालांकि, यह कहना जल्दबाजी होगी कि ये संशोधन भारतीय कंपनियों को कैसे प्रभावित करेगा, क्योंकि आगामी बाइडन प्रशासन अधिसूचना की समीक्षा कर सकता है। अभी तक अधिसूचना पर किसी भी कंपनी या व्यावसायिक निकाय की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
ट्रंप की विदेश नीतियों में प्रवासियों के प्रवेश को रोकने पर खासतौर से ध्यान दिया गया और उन्होंने अपने कार्यकाल के शुरू में ही सात मुस्लिम बहुल देशों पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिए और ये ट्रंप के अंतिम वर्ष तक जारी रहा। पिछले सप्ताह ट्रंप ने एच-1बी वीजा और अन्य कार्य वीजा के साथ ही ग्रीन कार्ड पर रोक को 31 मार्च तक बढ़ा दिया था। डेमोक्रेटिक नेता जो बाइडन ने कहा है कि ट्रम्प की आव्रजन नीतियां क्रूर हैं और उन्होंने वादा किया है कि वह 20 जनवरी को राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद एच-1बी वीजा पर रोक को हटा देंगे।
ताजा फैसले के बारे में अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि इस कदम का उद्देश्य अमेरिकी श्रमिकों के आर्थिक हितों की रक्षा करना और अस्थायी रोजगार कार्यक्रम से सबसे अधिक कुशल विदेशी श्रमिकों को लाभ पहुंचाना है। यूएससीआईएस के उप निदेशक नीति जोसेफ एडलो ने कहा कि एच-1बी वीजा कार्यक्रम का इस्तेमाल मुख्य रूप से प्रवेश स्तर के पदों को भरने और कारोबारी लागत को कम करने के लिए किया जा रहा है, जो एक तरह से इस कार्यक्रम का दुरुपयोग है।
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