वॉशिंगटन/पेइचिंग। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोरोना वायरस, ताइवान और भारत को लेकर चीन पर जोरदार हमला बोला था। ट्रंप ने तो कोरोना वायरस को चाइना वायरस बता दिया था। अब चुनावी नतीजों में जो बाइडेन जीत की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं। चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने बाइडेन पर चीन को लेकर नरम रख अपनाने का अरोप लगाया था लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जीत किसी की भी हो लेकिन चीनी ड्रैगन की टेंशन बढ़ने वाली है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में जीत चाहे ट्रंप की हो या बाइडेन की, दोनों ही विस्तारवादी नीति अपनाने में लगे चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाएंगे। ट्रंप के चीन को लेकर हमलावर होने के बाद बाइडेन ने भी चीन को सबक सीखाने का वादा किया है। चीनी मामलों के अमेरिकी विशेषज्ञ मरिऑन स्मिथ ने कहा कि चीन आज अमेरिका के लिए सुरक्षा, आर्थिक और मूल्यों के लिहाज से सबसे बड़ा खतरा बन गया है।
‘बाइडेन चीन के प्रति सख्त रुख अपना सकते हैं’
मरिऑन स्मिथ ने कहा कि बाइडेन का चीन पर काफी बोझ है। सीनेटर से लेकर उपराष्ट्रपति के अपने 45 साल के राजनीतिक कार्यकाल में जो बाइडेन ने चीन और अमेरिका के बीच एकजुटता पर जोर दिया था। वर्ष 2013 में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने जो बाइडेन को अपना पुराना मित्र करार दिया था। इसके बाद भी बाइडेन चीन के प्रति सख्त रुख अपना सकते हैं। इससे पहले से चला रहा चीन के साथ तनाव और ज्यादा बढ़ सकता है।
उन्होंने कहा कि बाइडेन की चीन नीति ट्रंप से काफी मिलती-जुलती ही है। बाइडेन ने कहा है कि वह चीन पर आर्थिक दबाव बनाए रखेंगे। जो बाइडेन ने ऐलान किया है कि चीन के खिलाफ अभियान में वह वैश्विक समन्वय को ट्रंप से भी ज्यादा बढ़ावा देंगे। जो बाइडेन ने मानवाधिकारों के उल्लंघन के मुद्दे पर चीन की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने उइगर मुसलमानों पर अत्याचार को ‘नरसंहार’ करार दिया है।
बाइडेन ने चीन को अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी करार दिया
चुनाव प्रचार के दौरान बाइडेन ने चीन को अमेरिका का सबसे बड़ा प्रतिद्वंदी करार दिया दिया था। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि सबसे बड़ा प्रतिद्वंद्वी चीन है। और इस बात पर निर्भर करता है कि हम कैसे संभालते हैं। यह निर्धारित करेगा कि हम प्रतियोगी हैं या हम ताकत का प्रयोग करने वाले अधिक गंभीर प्रतियोगी हैं।’ उन्होंने रूस को अमेरिकी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा करार दिया था। उधर, अमेरिका के चुनावी नतीजों से टेंशन में आए चीन ने आशा जताई है कि चुनावी प्रक्रिया ठीक ढंग से और सफलतापूर्वक संपन्न होगी। उसने कहा कि दोनों देशों के बीच कुछ मतभेद के बाद भी सहयोग की संभावना बनी हुई है।
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