नई दिल्ली। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव अब फंस चुका है. डेमोक्रेट्स के जो बाइडेन अभी इलेक्टोरल वोट की रेस में आगे चल रहे हैं लेकिन डोनाल्ड ट्रंप हार मानने के लिए तैयार नहीं हैं। ट्रंप ने कई राज्यों में काउंटिंग में गड़बड़ी का आरोप लगाया है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह दी है। कुछ राज्यों में रिकाउंटिंग को लेकर रिपब्लिकन पार्टी अदालत तक पहुंच भी गई है।
अब ऐसे में सवाल है कि क्या अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट चुनाव के नतीजों को तय कर सकता है। अब तक अमेरिकी इतिहास में ऐसा दो ही बार हो पाया है, जब किसी राष्ट्रपति ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शपथ ली हो।
कब-कब सुप्रीम कोर्ट ने दिया है दखल?
साल 2000 में जब रिपब्लिकन की ओर से जॉर्ज बुश और डेमोक्रेट्स की ओर से एल गोरे चुनावी मैदान में थे, तो फ्लोरिडा में पेच फंस गया था। उस वक्त यहां पर जॉर्ज बुश कुल 537 वोटों से आगे थे, लेकिन एल गोरे की ओर से दोबारा पूरे राज्य में वोटों की गिनती की मांग कर दी गई थी। जिसके बाद जॉर्ज बुश की ओर से कोर्ट का रुख किया गया और रिकाउंटिंग रोकने को कहा गया। अंत में सुप्रीम कोर्ट ने बुश के पक्ष में फैसला सुनाया था और रिकाउंटिंग रोक कर, बुश को विजेता घोषित कर दिया था।
इसके अलावा साल 1876 में जब अंतिम नतीजों के लिए कांग्रेस ने एक कमिशन का गठन किया था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जज, हाउस ऑफ रिप्रेंजेटेटिव, सीनेटर और अन्य लोग शामिल थे। अंत में इन्हीं की वोटिंग के आधार पर राष्ट्रपति का नाम तय हुआ था। तब रुदरफोर्ड बी. हेयस ने अंत में 1 वोट से डेमोक्रेट्स के सैमुअल टिल्डन को हरा दिया था और देश को 19वें राष्ट्रपति बने।
अब जब एक बार फिर अमेरिकी चुनाव के नतीजे सुप्रीम कोर्ट की ओर बढ़ रहे हैं, तो हर किसी की चिंताएं भी बढ़ रही हैं। डोनाल्ड ट्रंप की टीम की ओर से अदालत का दरवाजा खटखटाया जा रहा है, जहां कुछ दिन पहले ही डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नामित एमी कोने बेनेट सुप्रीम कोर्ट की जज बनी हैं। हालांकि, टीम ट्रंप की ओर से अभी सिर्फ राज्य स्तर पर ही अदालत में अपील की गई है।
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