न्यूयॉर्क । अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर आरोप लगे हैं कि एक बार फिर अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के लिए उन्होंने झूठ का सहारा लिया है, लेकिन उनका यह झूठ पकड़ में आ गया, दरअसल उन पर यह आरोप ब्लड प्लाज्मा थेरेपी को लेकर भ्रामक बातें कहने और ट्रायल पूरे हुए बगैर ही वैक्सीन के इस्तेमाल के लिए अपने वैज्ञानिकों पर दबाव बनाने को लेकर लगे हैं. आरोपों के मुताबिक ट्रंप ने इसके लिए खुद एनआईएच के डायरेक्टर डॉ. फ्रांसिस कॉलिन्स को फोन किया और इसे रिपब्लिकन कन्वेंशन से पहले पूरा करने का दबाव बनाया था, जिससे कि वे यह साबित कर पाएंगे कि उन्होंने कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ी है और महत्वपूर्ण कदम उठाए है.
इस संबंध में मीडिया में आई रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने दबाव बनाकर ब्लड प्लाज्मा से इलाज को मंजूरी दिलाई और वैक्सीन के लिए भी दबाव बनाया. रिपोर्ट के मुताबिक प्लाज्मा थेरेपी को मिलने वाली मंजूरी दो हफ्ते से भी ज्यादा से अटकी हुई थी क्योंकि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) को इसे लेकर कई तरह के शक थे. आरोप है कि ट्रंप ने एनआईएच के डायरेक्टर डॉ. फ्रांसिस कॉलिन्स को कॉल कर कहा था कि इसे दो दिन में मंजूरी दें. ट्रंप ने बीती 19 अगस्त को फोन किया था लेकिन इसके बावजूद भी फूड एंड एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट के रेगुलेटर एनआईएच की शंकाओं को दूर करने के लिए अंतिम समय में किया जाने वाला डेटा रिव्यू पूरा नहीं कर सके थे.
हालांकि राष्ट्रपति नहीं रुके और कन्वेंशन के मौके पर उन्होंने एफडीए से प्लाज्मा थेरेपी को मंजूरी मिलने का ऐलान कर दिया. ट्रंप ने दावा किया था कि इससे मौतें 35% तक कम हो जाएंगी. आरोप है कि चुनाव में फायदे के लिए ट्रंप लगातार सरकारी हेल्थ एजेंसियों पर दबाव बनाए हुए हैं.
इस रिपोर्ट के मुताबिक प्लाज्मा थेरेपी को मंजूरी दिलाकर व्हाइट हाउस दिखाना चाहता था कोरोना के खिलाफ लड़ाई में उसने अहम सफलता हासिल कर ली है. अब इस तरह की भी चर्चाएं हैं कि ट्रंप प्रशासन चुनाव से पहले वैक्सीन लाने के लिए भी लगातार इसी तरह का दबाव बनाए हुए है. डॉ. कॉलिन्स और डॉ. पीटर मार्क्स के मुताबिक व्हाइट हाउस के अफसरों ने प्लाज्मा से असरकारी इलाज होने की बात को बढ़ा-चढ़ा कर पेश किया था.
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