वाशिंगटन। फिलस्तीनी (Palestinian) इलाकों पर जारी इस्राइली हमलों (Israeli attacks) के कारण अमेरिका (America) खासकर अपनी डेमोक्रेटिक पार्टी (Democratic Party) के भीतर राष्ट्रपति जो बाइडन (President Joe Biden) की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी (Democratic Party) के प्रोग्रेसिव धड़े (Progressive faction) ने इस्राइल (Israel) को समर्थन देने के बाइडन प्रशासन के रुख के खिलाफ जोरदार मुहिम छेड़ दी है। इसके अलावा ऐसा पहली बार हुआ है, जब अमेरिका के अलग-अलग शहरों में हजारों लोगों ने फिलस्तीनियों के पक्ष में सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया है। इससे न सिर्फ यह संकेत मिला है कि इस्राइल को समर्थन के मुद्दे पर अमेरिका में मौजूद आम सहमति टूट गई है, बल्कि फिलस्तीनियों के मानव अधिकारों को लेकर वहां एक नई जागरूकता भी पैदा हो गई है।
बुधवार को (भारतीय समय के अनुसार) राष्ट्रपति जब अमेरिकी राज्य मिशिगन के डेट्रॉयट गए, तो वहां हवाई अड्डे पर ही डेमोक्रेटिक पार्टी की हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव की सदस्य रशीदा तलाइब ने एक तरह से उन्हें घेर लिया। उन्होंने बाइडन के सामने वे तमाम बातें दोहराईं, जो पिछले हफ्ते उन्होंने हाउस में दिए अपने भाषण में कही थीं। तलाइब का ये भाषण बहुचर्चित हुआ था। अमेरिकी मीडिया में छपी खबरों के मुताबिक तलाइब ने डेट्रॉयट में राष्ट्रपति के सामने उनसे कहा कि फिलस्तीनी लोगों के मानव अधिकारों की रक्षा के लिए उन्हें अधिक कदम उठाने चाहिए।
इस बीच इस्राइल को 735 अरब डॉलर की सैनिक सहायता देने के बाइडन प्रशासन के हालिया एलान के खिलाफ डेमोक्रेटिक पार्टी की सदस्य एओसी नाम से मशहूर एलेक्जैंड्रिया ओकासियो-कॉर्तेज ने हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव में एक प्रस्ताव पेश कर दिया है। इस सहायता के तहत इस्राइल को उन्नत हथियार दिए जाने हैं। एओसी ने अपने प्रस्ताव में इस आपूर्ति पर रोक लगाने की मांग की है। एओसी के इस प्रस्ताव को डेमोक्रेटिक सांसदों रशीदा तलाइब, प्रमिला जयपाल, कोरी बुश, इल्हान उमर और मार्क पोकन भी अपना समर्थन दिया है। इस प्रस्ताव में कहा गया है- दशकों से अमेरिका ने बिना फिलस्तीनियों के अधिकारों का सम्मान किए इस्राइल को अरबों डॉलर के हथियार बेचे हैं। इस वक्त जब राष्ट्रपति बाइडन सहित बहुत से लोगों ने इस्राइल से युद्धविराम की अपील की है, हिंसा को जारी रखने के लिए प्रत्यक्ष हमला करने वाले हथियार अमेरिका को नहीं देने चाहिए। इस बीच शुक्रवार को (भारतीय समय के अनुसार) सीनेट में इस्राइल के पक्ष में पेश रिपब्लिकन सदस्य रिक स्कॉट को सीधे पारित होने से डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रोग्रेसिव धड़े के नेता बर्नी सैंडर्स ने रोक दिया। उनकी पहल के कारण इस प्रस्ताव पर बहस शुरू हुई। उसमें दखल देते हुए सैंडर्स ने अपने 15 मिनट के भाषण में वो तमाम बातें दोहराईं, जो कुछ रोज पहले उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे अपने लेख में कही थीं। भाषण के दौरान उन्होंने इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को नस्लवादी तानाशाह बताया। उन्होंने भाषण ये कहते हुए खत्म किया कि फिलस्तीनी अधिकारों का महत्त्व है, फिलस्तीनियों की जिंदगी भी महत्त्वपूर्ण है। विश्लेषकों का कहना है कि हाल के वर्षों में सैंडर्स के समर्थकों और दूसरे प्रगतिशील समूहों ने अपने ग्रासरूट संगठनों और ऑनलाइन मीडिया के जरिए अपनी एक अहम मौजूदगी अमेरिका में बना ली है। देश के अलग-अलग हिस्सों में हुए इस्राइल विरोधी प्रदर्शनों का आयोजन उन्हीं संगठनों ने किया है। पिछले राष्ट्रपति चुनाव में इन संगठनों ने जो बाइडन का समर्थन किया था। इसलिए बाइडन के लिए उनके विरोध को नजरअंदाज करना आसान नहीं है। अब बाइडन की मुश्किल यह है कि जो समूह उनके समर्थक रहे हैं, वे इस्राइल के मामले में उनके रुख की खुल कर आलोचना कर रहे हैं। वे मानव अधिकारों के प्रति उनकी निष्ठा पर सवाल उठा रहे हैँ। विश्लेषकों के मुताबिक इससे बाइडन प्रशासन के नैतिक रुतबे को नुकसान हो रहा है, जिसका असर दूसरे अंतरराष्ट्रीय मसलों पर पड़ सकता है।