वाशिंगटन। यूक्रेन (Ukraine) पर ‘रासायनिक हथियारों’ से हमले (Attacks with chemical weapons) का संकट मंडरा रहा है। ये चेतावनी अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) ने दी। बाइडेन ने कहा कि रूस(Russia) द्वारा यूक्रेन के खिलाफ रासायनिक हथियारों ( chemical weapons) का संभावित इस्तेमाल एक वास्तविक खतरा है। नाटो (NATO) शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए यूरोप रवाना होने से पहले जब बाइडेन (Joe Biden) से पूछा गया कि क्या रूस यूक्रेन में रासायनिक हथियारों का इस्तेमाल कर सकता है तो इस पर उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह एक असली खतरा है।”
क्या होते हैं रासायनिक हथियार?
रासायनिक हथियारों को अंग्रेजी में केमिकल वेपन भी कहते हैं। इन हथियारों में रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है जो किसी भी इंसान के नर्वस सिस्टम यानी उसके तंत्रिका तंत्र और श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं। आम तौर पर यह जानलेवा होते हैं। नर्व एजेंट, ब्लिस्टर एजेंट, चोकिंग एजेंट, ब्लड एजेंट, रॉयट एजेंट कुछ रासायनिक हथियारों के नाम हैं।
कब-कब हुआ रसायनिक हथियारों का इस्तेमाल?
इंटरनेशनल कानूनों के हिसाब से केमिकल और बायोलॉजिकल हथियारों के इस्तेामल पर प्रतिबंध है। लेकिन कहते हैं कि सहबे पहले 1347 में मुगलों ने प्लेग से संक्रमित शरीरों का इस्तेमाल काले सागर के बंदरगाह पर किया था। इसके अलावा 1710 में रूसी सेना, 1763 में ब्रिटेन की फौज, 1845 में फ्रांस ने इनका इस्तेमाल किया था। कहा तो ये भी जाता है कि इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन ने 1980 के दशक में ईरान से हुए संघर्ष में केमिकल हथियारों का इस्तेमाल किया था। हालांकि इसके सबूतों पर संदेह बना रहा है। हालिया घटनाक्रमों की बात करें तो अमेरिका ने 2013 में कहा था कि सीरिया की बशर अल-असद सरकार ने हमलों में रसायनिक हथियारों का इस्तेमाल किया था।
किस देश के पास हैं रसायनिक हथियार?
रासायनिक और जैविक हथियारों का सबसे बड़ा जखीरा शीत युद्ध के दौरान अमेरिका और सोवियत रूस के पास था। आज की स्थिति साफ नहीं है। साल 1997 में केमिकल वेपन कन्वेंशन हुई और इस पर दस्तखत करने वाले आठ देशों ने बताया था कि उनके पास कितने हथियार हैं। इन देशों में अल्बानिया, भारत, इराक, लीबिया, सीरिया, अमेरिका, रूस और एक अज्ञात देश था। अमेरिका को छोड़कर सभी ने कथिततौर पर अपने रसायनिक हथियारों को नष्ट कर दिया है।
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