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US संसद ने पास किया पाकिस्तान चुनाव में हुई धांधली की जांच का प्रस्ताव, उठे सवाल

वाशिंगटन (Washington)। पाकिस्तान (Pakistan) में इस साल की शुरुआत में हुए चुनाव में गड़बड़ी की शिकायतें (Complaints election irregularities) आ रही थीं और अब अमेरिका (America) ने अपनी संसद में इसकी जांच कराने का प्रस्ताव पास किया है. अमेरिका की प्रतिनिधि सभा (US House of Representatives) ने पाकिस्तान में लोकतंत्र और मानवाधिकारों (Democracy and human rights) के समर्थन में यह प्रस्ताव पास किया है. इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान में हुए चुनाव में गड़बड़ी के दावे किए जा रहे थे, इसलिए इसकी स्वतंत्र जांच होनी चाहिए।


अब सवाल यह उठता है कि आखिर अमेरिकी संसद में पाकिस्तान में चुनाव की जांच का प्रस्ताव कैसे पास हो गया? क्या अमेरिका किसी देश की जांच कर सकता है?

इमरान खान को मिला अमेरिका का साथ
पाकिस्तान में इसी साल में हुए आम चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने गड़बड़ी के आरोप लगाए थे. उनका कहना था कि पाकिस्तान के चुनाव में घपला किया गया है. यही नहीं, मतगणना में भी गड़बड़ी कर नवाज शरीफ की पार्टी के उम्मीदवारों को जिताया गया है. चुनाव के बाद से ही अमेरिका के भी कई सांसद इस बात की मांग करने लगे थे कि पाकिस्तान में चुनाव की जांच होनी चाहिए।

इमरान और अमेरिकी सांसदों को अब अमेरिकी संसद का भी साथ मिल गया है. इससे जुड़े प्रस्ताव पर अमेरिकी सदन के 85 प्रतिशत सदस्यों ने मतदान किया. इनमें से ज्यादातर जांच के पक्ष में दिखे. चूंकि यह अमेरिकी सांसदों की ओर से लाया गया प्रस्ताव था और ज्यादातर सांसद पाकिस्तानी चुनाव की जांच के पक्षधर थे तो यह पास हो गया. अब कोई देश अपनी संसद में जो चाहे प्रस्ताव पास करा सकता है।

जो बाइडेन से की गई मांग
इस प्रस्ताव को जॉर्जिया के कांग्रेसी मैककॉर्मिक व मिशिगन के कांग्रेसी किल्डी ने पेश किया था. इस प्रस्ताव में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन से आग्रह किया गया है कि पाकिस्तान में मानवाधिकार, लोकतंत्र और कानून का शासन बनाए रखने के लिए सहयोग किया जाए. इसके बाद एक बयान में कहा गया कि यह प्रस्ताव पाकिस्तान के लोगों के अधिकार और लोकतंत्र को बनाए रखने के महत्व को बताता है. इसके पास होने से पाकिस्तान को यह संदेश जाता है कि पाकिस्तान के लोगों के साथ अमेरिका स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए खड़ा है।

पाकिस्तान पर दबाव बनाने की कोशिश
वैसे तो यह पाकिस्तान का आंतरिक मामला है पर किसी और देश के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की अमेरिका की पुरानी आदत है. इसी के तहत वहां के सांसदों ने अपने राष्ट्रपति से पाकिस्तान चुनाव की मांग इस प्रस्ताव के जरिए की है. अमेरिका अपने स्तर से इसकी जांच कराकर अगर रिपोर्ट दुनिया के सामने रखता है तो इसमें पाकिस्तान की छवि खराब होगी और वहां विपक्ष को अपनी बात साबित करने में आसानी होगी. इसके अलावा अमेरिका अपनी ओर से पाकिस्तान पर शर्तें मनवाने के लिए दबाव बना सकता है।

किसी अन्य देश को लेकर जांच करने का इसके अलावा किसी दूसरे देश के पास तब तक कोई अधिकार नहीं है, जब तक संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से ऐसा करने के लिए उसे अधिकृत न किया जाए. ऐसे में कोई देश अपनी संसद में क्या कहता है, इसका कोई महत्व रह नहीं जाता, सिवाय इस बात के कि जिस देश के बारे में ऐसा कहा जा रहा है, उस पर प्रभाव तो पड़ता ही है।

पाकिस्तानी सरकार ने की निंदा
इस प्रस्ताव के पास होने के बाद पाकिस्तान की सरकार ने कहा है कि इससे पता चलता है कि पाकिस्तान की राजनीतिक स्थिति और चुनावी प्रक्रिया की यह प्रस्ताव लाने वालों को पूरी समझ ही नहीं है. शहबाज शरीफ की सरकार की ओर से पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि अमेरिका वास्तव में पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश कर रहा है।

पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मुमताज जोहरा ब्लोच ने कहा है कि ऐसे प्रस्ताव न तो रचनात्मक हैं और ही इनका कोई लक्ष्य है. पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने तो यहां तक सलाह दे डाली है कि अमेरिका को इस साल के अंत में अपने यहां होने वाले चुनाव में और पारदर्शिता लाने की जरूरत है. एक टीवी चैनल को दिए साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि अमेरिका के पास पाकिस्तान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना का कोई अधिकार नहीं है।

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