वाशिंगटन । ताइवान, हांगकांग और शिनजियांग में बीजिंग द्वारा की जा रही कार्रवाई के खिलाफ अमेरिका को चीन पर शिकंजा कसना चाहिए। अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने अपने पूर्ववर्ती राबर्ट ओ ब्रायन के साथ एक वर्चुअल बैठक के दौरान कहा कि बीजिंग वाशिंगटन की विदेश नीति के लिए एक चुनौती है, जिससे बाइडन प्रशासन को निपटना है। इस दौरान उन्होंने ताइवान, हांगकांग और दक्षिण चीन सागर में उसके आक्रामक रवैये का भी हवाला दिया।
बातचीत के दौरान सुलिवन ने चार चुनौतियों का जिक्र करते हुए कहा कि अगर इससे मुकाबला नहीं किया गया तो अमेरिका को बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। सबसे पहले उन्होंने कहा कि चीन पूरी दुनिया में यह साबित करने की कोशिश कर रहा है कि उसका मॉडल अमेरिकी मॉडल से बेहतर है। इसके लिए वह हाल ही में अमेरिका में हुई हिंसा का सहारा ले रहा है।
सुलिवन ने कहा कि अगर इससे मुकाबला करना है तो हमें लोकतांत्रिक परंपराओं में लोगों का विश्वास एक बार फिर बहाल करना होगा। सुलिवन ने कहा कि अमेरिका को उभरती प्रौद्योगिकियों में निवेश को बढ़ाना होगा। क्योंकि भविष्य में तकनीक में आगे रहने वाला देश ही विश्व का नेतृत्व करेगा। सुलिवन ने यह भी कहा कि विदेश नीति के मुद्दों पर चीन से स्पष्ट बात करने का समय आ गया है। बातचीत में हांगकांग, ताइवान और शिनजियांग जैसे मुद्दों को जरूर शामिल किया जाना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि बीते शुक्रवार को सुलिवन ने कहा था कि बाइडन प्रशासन क्वाड समूह को एक ऐसा आधार मानता है जिस पर रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र के संदर्भ में अमेरिकी नीति को तैयार किया जा सकता है। बाइडन प्रशासन भी ‘क्वाड’ और पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन की हिंद-प्रशांत नीति पर आगे भी काम करेगा। उन्होंने कहा था कि ट्रंप प्रशासन की हिंद-प्रशांत नीति ऐसी पहल हैं जो जारी रहेगी। मालूम हो कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया ने क्वाड को आकार दिया था।
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