शंघाई । अमेरिकी नौसेना ने शुक्रवार को विवादित दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास कर चीन को अपना दमखम दिखाया है। उधर, चीन ने इस तरह की कवायद पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि दक्षिण चीन सागर में उसके दावे को नकार कर अमेरिका ने तनाव बढ़ाने का काम किया है। यूएसएस रोनाल्ड रीगन पर टास्क फोर्स 70 एअर ऑपरेशंस आफिसर जोशुआ फगन ने कहा, ‘भारतीय-प्रशांत क्षेत्र में उन्मुक्त विचरण आवश्यक है।’ गौर करने वाली बात यह है कि मौजूदा युद्धाभ्यास अमेरिका और चीन में बढ़ते तनाव के बीच किया गया है।
दरअसल, चीन भारत सहित सभी पड़ोसियों के लिए खतरा बना हुआ है। बीत दिनों अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल के ताइवान दौरे से चिढ़े चीन के लड़ाकू विमानों ने पड़ोसी देश के हवाई क्षेत्र में घुसने की कोशिश की थी। ताइवान ने जब इसका पलटवार किया था तो वे निकल भागे थे। अभी हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि घातक कोरोना वायरस फैलाकर बीजिंग ने अमेरिका और दुनिया को जो घाव दिया है, उसकी कीमत उसे चुकानी होगी।
बीते दिनों अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने कहा था कि भारत के पूर्वी लद्दाख में बीजिंग की आक्रामकता और भूटान की जमीन पर दावा चीन के मंसूबे को दिखाता है। राष्ट्रपति शी चिनफिंग के नेतृत्व में बीजिंग दुनिया की इस बात की परीक्षा ले रहा है कि कोई उसके खतरे और धमकी के सामने खड़ा होता है या नहीं। लेकिन अब जब दक्षिण चीन सागर में अमेरिकी युद्धपोतों ने चौकसी शुरू कर दी है चीन की बोलती बंद हो गई है। वह बड़बोलापन जरूर दिखा रहा है लेकिन कर कुछ भी नहीं पा रहा है।
बता दें कि अमेरिका कोरोना वायरस फैलाने को लेकर चीन की लगातार आलोचना करता रहा है। साथ ही उसका यह भी आरोप है कि बीजिंग महामारी की आड़ में दक्षिण चीन सागर और पड़ोसी देशों की जमीन पर कब्जा करने का प्रयास कर रहा है। चीन दक्षिण चीन सागर के 10 में से नौ हिस्से पर कब्जे का दावा करता है। इसी रास्ते से एक वर्ष में तीन ट्रिलियन डॉलर का व्यापार होता है। ब्रूनेई, मलेशिया, फिलीपींस, ताइवान और वियतनाम भी इस पर अपना दावा करते हैं।
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