वाशिंगटन। अमेरिका ने शुक्रवार को धार्मिक स्वतंत्रता की वर्तमान स्थिति (Current Status of Religious Freedom) के लिए चीन, पाकिस्तान और म्यांमार सहित 12 देशों को “विशेष चिंता वाले देशों” के रूप में नामित किया। अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने यह घोषणा की है। यह अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा की जाने वाली एक वार्षिक घोषणा है।
इस घोषणा से पहले भारत को चिंताओं वाले देश के रूप में नामित करने के लिए भारतीय अमेरिकी मुस्लिम काउंसिल जैसे समूहों द्वारा बड़े पैमाने पर लॉबिंग के प्रयास किए गए और अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी आयोग (US Commission for International Religious Freedom) जैसे संगठनों की ओर से दबाव बनाया गया।
इन 12 देशों को किया गया है नामित
ब्लिंकेन ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि आज मैं बर्मा (म्यांमार), पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, क्यूबा, इरिट्रिया, ईरान, निकारागुआ, उत्तर कोरिया (डीपीआरके), पाकिस्तान, रूस, सऊदी अरब, ताजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान को 1998 के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम के तहत ‘विशेष चिंता वाले देशों’ के रूप में नामित करने की घोषणा करता हूं। इन देशों पर धार्मिक स्वतंत्रता के विशेष रूप से गंभीर उल्लंघनों में शामिल होने या इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के आरोप हैं।
इन देशों को विशेष निगरानी सूची में रखा गया
इसके साथ ही ब्लिंकेन ने कहा कि अल्जीरिया, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोमोरोस और वियतनाम को धार्मिक स्वतंत्रता के गंभीर उल्लंघनों में शामिल होने या इसके खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए विशेष निगरानी सूची में रखा गया है।
इन संगठनों को भी किया गया नामित
अमेरिका ने अल-शबाब, बोको हराम, हयात तहरीर अल-शाम, हौथिस, आईएसआईएस-ग्रेटर सहारा, आईएसआईएस-वेस्ट अफ्रीका, जमात नुसरत अल-इस्लाम वल-मुस्लिमिन, तालिबान और वैगनर समूह को भी मध्य अफ्रीकी गणराज्य में इनके द्वारा की गई कार्रवाई के आधार पर “विशेष चिंता वाले संगठनों” के रूप में नामित किया है।
ब्लिंकेन ने कहा कि इन्हें नामित करने की हमारी घोषणा राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने और दुनिया भर में मानवाधिकारों को आगे बढ़ाने के लिए हमारे मूल्यों और हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया है। जो देश प्रभावी रूप से धार्मिक स्वतंत्रता और अन्य मानवाधिकारों की रक्षा करते हैं वे अधिक शांतिपूर्ण, स्थिर, समृद्ध और अमेरिका के ज्यादा विश्वसनीय सहयोगी हैं, उन लोगों की तुलना में जो ऐसा नहीं करते हैं।
ब्लिंकेन ने कहा कि अमेरिका दुनिया के हर देश में धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता की स्थिति की सावधानीपूर्वक निगरानी करना जारी रखेगा और धार्मिक उत्पीड़न या भेदभाव का सामना करने वालों की वकालत करता रहेगा। उन्होंने कहा कि हम नियमित रूप से धर्म या विश्वास की स्वतंत्रता के दायरे के संबंध में अपनी चिंताओं के बारे में देशों को शामिल करेंगे, भले ही उन देशों को नामित किया गया हो। उन्होंने कहा कि अमेरिका उन कानूनों और प्रथाओं का पालन करने के लिए सभी सरकारों के साथ बातचीत करने के अवसर का स्वागत करता है, जो अंतरराष्ट्रीय मानकों और प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं करते हैं।
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