बीजिंग। अगले साल यानी 2022 के फरवरी में चीन के बीजिंग नें शीतकालीन ओलंपिक खेल होने हैं। ओलंपिक खेलों की शुरूआत में अब दो महीनों से भी कम समय बचा है। इस बीच एक बड़ी जानकारी सामने आ रही है कि इस सप्ताह में अमेरिका चीन के बीजिंग शहर में होने वाले ओलंपिक के राजनयिक बहिष्कार का एलान कर सकता है।
व्हाइट हाउस की तरफ से आमतौर पर ओलंपिक के उद्घाटन और समापन समारोह में एक प्रतिनिधिमंडल भेजा जाता है लेकिन इस बार यह संभव नहीं लग रहा है। इस बीच अमेरिका में शीर्ष सांसदों द्वारा भी राजनयिक बहिष्कार का आह्वान किया गया है। एनबीए बास्केटबॉल खिलाड़ी और मुखर मानवाधिकार अधिवक्ता एनेस कनेटर बहिष्कार का आह्वान करने वाली नवीनतम हाई-प्रोफाइल लोगों में से एक हैं।
अमेरिका का यह कदम अमेरिकी एथलीटों को प्रतिस्पर्धा करने से रोके बिना विश्व मंच पर चीन को एक कड़ा संदेश भेजने की कोशिश मानी जा रही है। वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, जो निजी तौर पर बहिष्कार पर चर्चा कर रही है, ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि पूर्ण बहिष्कार नहीं किया जाएगा, मतलब कि अमेरिकी एथलीटों को अभी भी प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दी जाएगी। पिछली बार 1980 में अमेरिका ने ओलंपिक का पूरी तरह बहिष्कार किया था जब पूर्व राष्ट्रपति जिमी कार्टर पद पर थे।
यूरोपियन संसद ने किया बहिष्कार का एलान
मामले पर यूरोपीय संसद के सांसदों ने सहमति जताते हुए कहा कि हमें चीन के मानवाधिकारों के हनन के कारण बीजिंग 2022 शीतकालीन ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले निमंत्रण को अस्वीकार करना चाहिए। इसके साथ ही ईयू सांसदों ने अपनी सरकारों से मांग करते हुए उइगर मुसलमानों को लेकर चीन के व्यवहार पर और अधिक प्रतिबंध लगाने की बात भी कही।
इससे पहले कब हुआ ओलंपिक खेलों का बहिष्कार
इससे पहले छह ओलंपिक खेलों ने बहिष्कार और कम देशों की भागीदारी झेली है। 1956 (मेलबर्न), 1964 (टोक्यो), 1976 (मॉन्ट्रियल), 1980 (मॉस्को), 1984 (लॉस एंजिल्स) और 1988 (सियोल) में युद्ध, आक्रमण और रंगभेद जैसे कारणों से विभिन्न देशों ने ओलंपिक खेलों का बहिष्कार किया था।
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