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अमेरिकी खुफिया एजेंसियां चीन से मुकाबले कमजोर : एडम स्किफ

October 02, 2020


वाशिंगटन । अमेरिकी खुफिया एजेंसियां अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन के प्रभाव का मुकाबला करने की स्थिति में नहीं हैं। चीन दुनिया में तेजी के साथ आर्थिक, सैन्य और कूटनीतिक विस्तार कर रहा है। यह बात अमेरिकी संसद की खुफिया मामलों की कमेटी के प्रमुख एडम स्किफ ने कही है। उन्‍होंने कहा कि हमारी खुफिया एजेंसियां लंबे समय की प्रभावी गतिविधियों के लिए तैयार नहीं हैं।

विदेशी मामलों की अमेरिकी पत्रिका रिप्रेजेंटेटिव में लिखे लेख में कमेटी के प्रमुख और कैलिफोर्निया से डेमोक्रेटिक पार्टी के सांसद एडम स्किफ ने कहा है कि शिनजियांग में अल्पसंख्यक उइगर मुस्लिमों को तमाम प्रतिबंधों के साथ रखा जा रहा है। इतना ही नहीं, दस लाख से ज्यादा अल्पसंख्यकों को शिविरों में नजरबंद करके रखा गया है। चीन उइगर संस्कृति को ही पूरी तरह से खत्म करने पर आमादा है। यह 21 वीं सदी के सबसे बड़े मानवाधिकार उल्लंघन का मामला है।

स्किफ ने लिखा है कि संसद की खुफिया मामलों की समिति ने दो साल तक अमेरिका की खुफिया एजेंसियों के कामकाज का अध्ययन किया है। देखा है कि उसने किस प्रकार से चीन की गतिविधियों पर नजर रखी है और उनके बारे में सांसदों को अवगत कराया है। खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर ही संसद अपने जवाब की रूपरेखा तैयार करती है जिस पर सरकार अमल करती है।

डेमोक्रेट सांसद ने कहा, दो साल में कमेटी ने हजारों घंटे खुफिया अधिकारियों से बातचीत की। उनके ठिकानों पर गए। हजारों गोपनीय दस्तावेजों और गोपनीय रिपोर्टों की समीक्षा की। उनके विषय में अमेरिकी एजेंसियों की कार्यप्रणाली और सिफारिशों को पढ़ा-समझा। इन सबका निष्कर्ष बेचैन कर देने वाला था। हमारी खुफिया एजेंसियां लंबे समय की प्रभावी गतिविधियों के लिए तैयार नहीं हैं।

एडम स्किफ ने कहा कि हमारे पास विश्वसनीय संसाधनों और संगठन का अभाव है जो चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए जरूरी है। आने वाले दशकों में चीन से मुकाबले के लिए अमेरिका की तैयारियां कमजोर हैं। हमें खुफिया मामलों में अपनी विशेषज्ञता और बढ़ानी होगी।

गौरतलब है कि व‌र्ल्ड ट्रेड सेंटर हुए हमले के बाद अमेरिका की खुफिया एजेंसियों का फोकस आतंकवाद से देश को बचाने पर रहा। उसमें उन्हें सफलता भी मिली। लेकिन अब जरूरत चीन की ओर फोकस किए जाने की है। चीन रूप बदल-बदलकर अपना काम कर रहा है। वह दुनिया में अमेरिका की जगह लेना चाह रहा है। उसे रोकने के लिए समन्वित रूपरेखा बनाकर काम करना होगा-संसाधन विकसित करने होंगे।

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