चीन और सोलोमन द्वीप के बीच हुए सुरक्षा समझौते (China-Solomon Islands security deal) की वजह से कई देशों की नींद उड़ गई है. सुरक्षा एजेंसियां और एक्सपर्ट्स भी मानते हें कि इस समझौते की वजह से चीन (China) को काफी फायदा होगा. हालांकि चीन और सोलोमन द्वीप इन बातों को पूरी तरह से नकार रहे हैं.
इस समझौते को लेकर अमेरिका (America), ऑस्ट्रेलिया, जापान और न्यूजीलैंड के अधिकारियों के बीच एक मीटिंग हुई है, जिसमें समझौते की वजह से संभावित गंभीर जोखिमों के बारे में बात की गई है. इस बात की जानकारी व्हाइट हाउस ने दी है. व्हाइट हाउस के एक बयान के अनुसार, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद इंडो-पैसिफिक कोऑर्डिनेटर कर्ट कैंपबेल और पूर्वी एशियाई और प्रशांत मामलों के सहायक विदेश मंत्री डैनियल क्रिटेनब्रिंक ने यूएस इंडो-पैसिफिक के कमांडर एडम जॉन सी एक्विलिनो के साथ होनोलूलू में एक बैठक बुलाई है.
व्हाइट हाउस ने बताया है कि होनोलूलू में अधिकारियों ने प्रशांत द्वीप समूह के लिए चार देशों की स्थायी और साझा प्रतिबद्धता की पुष्टि की. बयान के अनुसार, अमेरिका ने समुद्री सुरक्षा और आर्थिक विकास से लेकर जलवायु संकट और कोविड-19 तक 21वीं सदी की चुनौतियों का सामना करने के लिए इस क्षेत्र में अपनी भागीदारी को तेज करने का संकल्प लिया.
एक प्रेस वार्ता में बोलते हुए, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि दोनों देशों ने औपचारिक रूप से सुरक्षा सहयोग पर एक रूपरेखा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. मामले पर ऑस्ट्रेलिया ने कहा कि चीन महाद्वीप को डराने के लिए सोलोमन द्वीप में नौसैनिक अड्डा बनाने का इरादा रख रहा है. संयुक्त राज्य अमेरिका ने पिछले हफ्ते चीन और सोलोमन द्वीप समूह के बीच सुरक्षा समझौते पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा था कि यह समझौता प्रशांत राष्ट्र में चीनी सैन्य बलों की तैनाती के लिए द्वार खोलेगा.
चीन और सोलोमन द्वीपसमूह के बीच संभावित सुरक्षा करार के बीच अमेरिका अपने दो शीर्ष अधिकारियों को सोलोमन भेज रहा है. पिछले सप्ताह ऑस्ट्रेलिया के सीनेटर जेड सेसेल्जा ने सोलोमन द्वीप का दौरा किया था, जिसके बाद उन्होंने कहा था कि चीन दक्षिण प्रशांत में स्थित इस द्वीपसमूह में सैन्य मौजूदगी स्थापित कर सकता है. अमेरिका ने यह कदम पिछले महीने सोलोमन और चीन के बीच सुरक्षा समझौते को लेकर बनी मसौदा सहमति के मद्देनजर उठाया है.
सोलोमन ने कहा था कि वह जल्द ही समझौते के अंतिम संस्करण पर हस्ताक्षर करेगा. ऑनलाइन लीक हुए मसौदा समझौते में कहा गया है कि चीन के लड़ाकू पोत सोलोमन में रुक सकेंगे और चीन सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में मदद के लिए पुलिस और सशस्त्र बल सोलोमन भेज सकता है. हालांकि, सोलोमन ने कहा है कि इसका मतलब यह नहीं है कि चीन वहां सैन्य अड्डा स्थापित करेगा.
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved