वाशिंगटन (Washington)। अमेरिका (America) में राष्ट्रपति चुनाव (presidential election) होने वाले हैं। ऐसे में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (former president Donald Trump ) अपनी भागीदारी दर्ज कराने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। वह अब कोलोराडो की अदालत (Against Colorado court’s decision) के फैसले के खिलाफ अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट (US Supreme Court) का दरवाजा खटखटा रहे हैं। दरअसल, गौरतलब हैं कि 2021 में यूएस कैपिटल पर हमले में लगे आरोपों के कारण मेन और कोलोराडो ने पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप को इस साल राज्यों में राष्ट्रपति पद से अयोग्य घोषित कर दिया है। इसी फैसले को बदलने का ट्रंप ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है।
ट्रंप के वकीलों का कहना है कि कोलोराडो का फैसला सही नहीं है और यह सही हो भी नहीं सकता है।
गौरतलब है, सुप्रीम कोर्ट पर यह फैसला जल्द करने का दबाव बढ़ रहा है कि क्या राष्ट्रपति पद के लिए रिपब्लिकन पार्टी की उम्मीदवारी की दौड़ में सबसे आगे चल रहे ट्रंप को सार्वजनिक पद के लिए अयोग्य ठहराया जा सकता है। इस बीच, उच्च न्यायालय में चल रहे अन्य मामले ट्रंप के खिलाफ संघीय आपराधिक मामले को प्रभावित कर सकते हैं।
पांच जनवरी को होगा साफ
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति की अपील कोलोराडो जीओपी द्वारा एक अलग अपील दायर करने और दो सप्ताह बाद कोलोराडो के फैसले के वापस आने के लगभग एक सप्ताह बाद आई है। अपील दायर होने तक इस फैसले पर रोक लगा दी गई है और कोलोराडो के शीर्ष चुनाव अधिकारी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि पांच जनवरी को प्रमाणित होने पर ट्रंप का नाम राज्य के प्राथमिक मतपत्र में शामिल किया जाएगा।
समर्थकों को भड़काने का आरोप सही पाया
कोलोराडो सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रंप ने छह जनवरी 2021 को अपने समर्थकों को भड़काने का काम किया। उन्होंने उपद्रवियों को कैपिटल हिल को निशाना बनाने के लिए उकसाने के लिए चुनावी धोखाधड़ी की झूठी कहानी का सहारा लिया। उनका कभी-कभी यह कह देना कि लोग शांति बनाए रखें, उनके गलत कामों को ठीक नहीं कर सकता। मेन राज्य की सेक्रेटरी ऑफ स्टेट शेना ली बेलोज ने मामले में संवैधानिक विद्रोह के प्रावधान का हवाला देते हुए ट्रंप के खिलाफ फैसला सुनाया था।
उम्मीदवारी को कई राज्यों में चुनौती दी गई
दरअसल, 2024 में डोनाल्ड ट्रंप को राष्ट्रपति पद के चुनाव से दूर रखने के लिए उनकी उम्मीदवारी को कई राज्यों में चुनौती दी गई है। इसका आधार संविधान के 14वें संशोधन को बनाया गया है। हालांकि, मिशिगन और मिनेसोटा राज्य की अदालतों ने ट्रंप पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
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