नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 9 मार्च 2024 को देश की जनता को सेला टनल समर्पित किया था. यह सुरंग समुद्र तल से 13,000 फीट की ऊंचाई पर अरुणाचल प्रदेश में स्थित है. इस टनल के सेवा में आने से किसी भी मौसम में तवांग आना और जाना बेहद आसान हो जाएगा. ऑल वेदर रोड कनेक्टिविटी स्थापित होने के बाद अब चीन की सीमा से लगते तवांग में किसी भी मौसम में जाना संभव हो गया है. बता दें कि बारिश या फिर सर्दी में तवांग जाना काफी कठिन हो जाता है. सड़क संपर्क पूरी तरह से टूट जाता है. चीन को अरुणाचल का विकास फूटी आंख नहीं सुहा रहा है. पीएम मोदी के दौरे से बौखलाए चीन ने अरुणाचल प्रदेश पर वही पुराना राग अलापना शुरू कर दिया है. अब अमेरिका ने भी बीजिंग को जोरदार तमाचा जड़ा है. बाइडेन सरकार ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश भारत का हिस्सा है और चीन की ओर से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर किसी भी तरह की एकतरफा कार्रवाई का वॉशिंगटन पुरजोर विरोध करेगा.
अमेरिका ने अरुणाचल प्रदेश को भारत के अभिन्न हिस्से के तौर पर मान्यता दी है. साथ ही वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की ओर से किए जाने वाले किसी भी तरह के अतिक्रमण या अन्य तरह की गतिविधियों का पुरजोर विरोध किया है. बता दें कि अमेरिका यह रुख ऐसे समय सामने आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश दौरे के बाद चीन की सेना ने इसे अपने देश का हिस्सा बताया था. पीएम मोदी के अरुणाचल दौरे से बौखलाए चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सीनियर कर्नल झांग शियाओगंग ने अरुणाचल को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा करार दिया था. उन्होंने कहा था कि चीन अरुणाचल को कभी भारत के हिस्से पर स्वीकार नहीं किया है.
जो बाइडेन की सरकार ने चीन के रवैये पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता वेदांत पटेल ने कहा, ‘अमेरिका अरुणाचल को भारत के अभिन्न हिस्से के तौर पर मान्यता देता है. LAC पर किसी तरह के एकतरफा दावे या अतिक्रमण का हम पूरी मजबूती से विरोध करते हैं.’ बता दें कि भारत लगातार चीन के दावे को खारिज करता रहा है. दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में भारत ने पूर्वोत्तर में विकास की प्रक्रिया को रफ्तार दिया है. कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए लगातार सड़क और अन्य साधनों को अपग्रेड किया जा रहा है. पीएम मोदी ने इसी सिलसिले में 9 मार्च 2024 को तवांग को ऑल वेदर रोड से जोड़ने वाले सेला टनल को देश को समर्पित किया था. इससे चीन को मिर्ची लगी हुई है.
विदेश मंत्रालय ने इससे पहले चीन के रवैये पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि उसने चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा अरुणाचल प्रदेश के भूभाग पर ‘बेतुके दावे को आगे बढ़ाते हुए’ की गई टिप्पणी पर गौर किया है और कहा कि राज्य भारत का अभिन्न एवं अविभाज्य हिस्सा ‘था, है और सदैव रहेगा. विदेश मंत्रालय की ओर से यह प्रतिक्रिया ऐसे समय आई थी, जब कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर चीन की आपत्ति को भारत के खारिज करने के बाद चीन की सेना ने राज्य पर अपने दावे को दोहराते हुए इसे चीन के क्षेत्र का स्वाभाविक हिस्सा बताया था. विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के हवाले से कहा गया था, ‘हमने चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता द्वारा भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश के भूभाग पर बेतुके दावों को आगे बढ़ाते हुए की गई टिप्पणी पर गौर किया है. इस संबंध में निराधार तर्क को दोहराने से ऐसे दावों को कोई वैधता नहीं मिलती. अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा रहेगा. इसके लोग हमारे विकास कार्यक्रमों और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं से लाभान्वित होते रहेंगे.’
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