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अमेरिकी कोर्ट ने छात्रों को दी बड़ी राहत, डिपोर्टेशन पर लगाई रोक, वीजा रद्द करने को लेकर ट्रंप सरकार से मांगा जवाब

  • April 20, 2025

    नई दिल्‍ली । डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) के राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी सरकार (US Government) लाखों लोगों को डिपोर्ट कर चुकी है। वहीं अब अमेरिकी प्रशासन छात्रों (Students) को भी निशाना बना रहा है। विदेश मंत्री मार्को रूबियो (Secretary of State Marco Rubio) ने छात्र वीजा धारकों की भी जांच करने के लिए ‘कैच ऐंड रिवोक’ कार्यक्रम की घोषणा कर दी। इसके तहत यहूदी विरोधी और फिलिस्तीन के समर्थकों को पहचानना था। अमेरिकी प्रशासन ने बड़ी संख्या में विदेशी छात्रों का वीजा रद्द कर दिया। इसमें बड़ी संख्या में भारतीय छात्र भी शामिल थे। अब जॉर्जिया की एक जिला अदालत ने कम से कम 133 छात्रों को राहत दी है।

    जॉर्जिया की अदालत ने टेंपररी रिस्ट्रेनिंग ऑर्डर (TRO) जारी करते हुए छात्रों के डिपोर्टेशन पर रोक लगा दी है। बता दें कि छात्रों को अचानक सूचना दी गई थी कि उनका एक्सचेंज विजिटर इन्फॉर्मेशन सिस्टम बंद किया जा रहा है और अब उनका अमेरिका में ठहरना अवैध है। वहीं कोर्ट ने होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट को आदेश जारी करते हुए कहा कि छात्रों का इस तरह से तत्काल वीजा रद्द नहीं किया जा सकता। इसके अलावा अदालत ने यह भी कहा कि प्रशासन को छात्रों की निजी जानकारी को इस तरह सार्वजनिक नहीं कनरा चाहिए। अदालत ने अमिरिकी प्रशासन को इस मामले में जवाब देने को कहा है। जाहिर सी बात है कि अमेरिकी अदालत के इस आदेश से भारतीय छात्रों को भी राहत मिली है। जानकारी के मुताबिक जिन छात्रों का वीजा रद्द किया गया था उनमें आधे भारतीय थे।


    एफ1 वीजा धारक छात्रों ने अदालत में फाइल याचिका में कहा था कि उन्हें गैरकानूनी तरीके से निशाना बनाया जा रहा है। बहुत सारे छात्रों की डिग्री पूरी होने में कुछ ही सप्ताह का समय बचा है। इसके अलावा बहुत सारे छात्र ऑप्टिकल प्रैक्टिकल ट्रेनिंग के तहत काम करना चाहते हैं। वे पढ़ाई के बाद एक साल काम कर सकते हैं। कुछ स्ट्रीम के छात्रों के लिए दो साल काम करने की भी छूट है।

    छात्रों का कहना है कि गलत तरीके से उनके SEVIS को बंद कर दिया गया। उनका कोई क्रिमिनल बैकग्राउंड भी नहीं था और उन्होंने वीजा के लिए सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी भी की थीं। छात्रों का कहना है कि इस तरह से वीजा रद्द करना बेहद आपत्तिजनक है क्योंकि प्रशासन ने ठीक से नोटिस तक नहीं दिया। छात्रों को प्रतिक्रिया देने का समय भी नहीं दिया गया। कोर्ट ने कहा कि इस तरह से अचानक कार्रवाई करने से छात्रों की पढ़ाई और करियर को नुकसान पहुंचेगा।

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