वॉशिंगटन। अमेरिकी डेटाबेस से चीन (China) में मिले कोरोना वायरस (Coronavirus) के जेनेटिक सीक्वेंसिंग का डेटा गायब होने का मुद्दा गरमाया हुआ है। इसी बीच अमेरिका ने यह साफ कर दिया है कि चीनी शोधकर्ता के कहने पर इस डेटा को हटाया गया था। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है। हाल ही में अमेरिकी वायरोलॉजिस्ट जेसी ब्लूम (Jesse Bloom) ने डेटा गायब होने पर सवाल उठाए थे।
बुधवार को अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ ने बयान दिया कि डेटा अमेरिका के सीक्वेंस रीड आर्काइव में मार्च 2020 को जमा किया गया था। इसके तीन महीनों बाद उसी शोधकर्ता की तरफ से इसे ‘हटाने का अनुरोध’ किया गया। ये जेनेटिक सीक्वेंस चीन के वुहान शहर से आई थीं, जहां कोविड-19 शुरुआती रूप से पाया गया था।
रिपोर्ट में एजेंसी के हवाले से बताया गया है कि उस वक्त यह कारण दिया गया था कि सीक्वेंस की जानकारी अपडेट कर दी गई है और उसे दूसरे डेटाबेस में जमा किया जा रहा था। एजेंसी ने कहा, ‘डेटा जमा करने वाले जांचकर्ता के पास इसका पूरा अधिकार होता है और वे इसे हटाने का अुनरोध कर सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि NIH इस बात का अनुमान नहीं लगा सकता कि इसके पीछे जांचकर्ता का मकसद क्या था।
डेटा गायब होने का बाद हुआ था बवाल
अमेरिकी डेटाबेस से जेनेटिक सीक्वेंसिंग की जानकारी गायब होने के बाद हड़कंप मच गया था। वायरोलॉजिस्ट ब्लूम ने इस मामले को सार्वजनिक किया था। हालांकि, उन्होंने बाद में गायब हुए डेटा को दोबारा हासिल कर लिया था और साफ किया था कि इसके जरिए वायरस की उत्पत्ति की निश्चित जानकारी नहीं मिलती है।
241 जेनेटिक सीक्वेंस हुए थे गायब
मंगलवार को जारी की गई अपनी रिपोर्ट में ब्लूम ने दावा किया था कि चीनी शोधकर्ताओं ने वुहान में कोविड के शुरुआती मरीजों के सैंपल लिए थे और उनकी सीक्वेंस अमेरिकी डेटाबेस पर भेजे थे। उन्होंने कहा कि बाद में इसे हटा लिया गया था। ब्लूम एक स्प्रेडशीट पर मौजूद मार्च 2020 के डेटा की तलाश कर रही थीं, जिसमें वुहान यूनिवर्सिटी में एकत्र किए गए 241 जेनेटिक सीक्वेंस शामिल थे। जब उन्होंने वुहान सीक्वेंस को लेकर जानकारी तलाशी तो कोई डेटा नहीं मिला। बाद में अमेरिकी शोधकर्ता ने गूगल क्लाउड से डिलीट हुई फाइल को दोबारा हासिल कर लिया था।
कोरोना वायरस की शुरुआत को लेकर दुनियाभर में बहस जारी है। अमेरिका राष्ट्रपति जो बाइडन समेत कई नेता चीन की ओर इशारा कर चुके हैं, लेकिन चीन लगातार जांच में रुकावट डालने की कोशिश कर रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की टीम भी इस साल की शुरुआत में चीन पहुंची थी। उस दौरान टीम को वायरस से जुड़े डेटा देखने की अनुमति नहीं दी गई थी। बाइडन ने अमेरिकी खूफिया एजेंसियों को इस मुद्दे की दोबारा जांच करने के आदेश दिए हैं। वहीं, चीन लगातार कोरोना वायरस और वुहान लैब के बीच संबंध होने की बात से इनकार कर रहा है।
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