नई दिल्ली: चीन के साथ ट्रेड वॉर के कारण डोनाल्ड ट्रंप अपने ही देश में घिर गए हैं. मौजूदा हालातों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि ट्रंप खुद दो डूबेंगे, साथ में चीन को भी बर्बाद करके ही मानेंगे. ट्रंप ने चीन को छोड़कर अन्य देशों पर नए टैरिफ पर फिलहाल 90 दिनों के लिए रोक लगा दी है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि ट्रंप और अंतरराष्ट्रीय व्यापार से जुड़ी कूटनीति को लेकर अब भारत क्या कदम उठाए. भारत ऐसा क्या करेगा कि जिससे ट्रंप के टैरिफ का भारत पर असर भी कम और और आने वाले वक्त में हम ग्लोबल ट्रेड में अपनी भूमिका को कई गुना मजबूत भी कर लें. सूत्रों के मुताबिक भारत इसे लेकर अब तीन स्तर पर काम कर रही है. पहला- अमेरिका से ट्रेड डील, दूसरा- EU ब्रिटेन ने फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर काम और तीसरा- चीन इंपोर्ट पर कंट्रोल.
भारत के लिए सबसे अहम मोर्चा अमेरिका के साथ ट्रेड डील को लेकिन किसी निष्कर्ष पर पहुंचना है. सरकार अमेरिका से आयात होने वाली वस्तुओं पर शुल्क में कटौती पर विचार कर रही है. जवाब में वाशिंगटन नई दिल्ली को कुछ स्थायी टैरिफ राहत की पेशकश कर सकता है. विदेश मंत्रालय और अमेरिकी प्रशासन के बीच पहले ही कई चर्चाएं हो चुकी हैं. प्रधानमंत्री कार्यालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और वित्त मंत्रालय प्रस्तावित सौदे पर लगातार आगे बढ़ रहे हैं.
दुनिया में चल रही उथल-पुथल का फायदा भारत को मिल सकता है, अगर वो यूरोप के बाजारों पर फोकस करे तो. यूरोप के अलावा ब्रिटेन से भी भारत को फ्री ट्रेड की दिशा में आगे बढ़ना होगा. यह अच्छा मौका है जब भारत दुनिया भर के देशों में हलचल का फायदा उठाकर अपने बाजारों की पहुंच यूरोप में और मजबूती से बनाए. भारत जल्द से जल्द यूरोपीय संघ और यूनाइटेड किंगडम के साथ मुक्त व्यापार समझौतों को सील कर सकता है. ब्रिटेन पहले ही भारत संग ऐसी डील की इच्छा जता चुका है.
अमेरिका की चोट से घायल चीन भारत में सस्ते में अपने माल को बेचने की कोशिश कर यहां की मार्केट को खराब करने का प्रयास कर सकता है. भारत सरकार को घरेलू बाजारों की चीन से सुरक्षा पर काम करने की जरूरत होगी. भारत चीन जैसे देशों द्वारा डंपिंग को रोकने के लिए एक सख्त तंत्र को लागू करने के लिए कमर कस रहा है. इसमें चीनी आयातों पर प्रभावी रूप से अंकुश लगाने के लिए क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर (QCO) का सख्त इंफोर्समेंट शामिल है. इस पहलू पर गौर करने और त्वरित कार्रवाई करने के लिए एक अंतर-मंत्रालयी समूह भी बनाया गया है.
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