वॉशिंगटन । दक्षिण चीन सागर में मनमानी कर रहे चीन को अमेरिका पूरी तरह से सबक सिखाने पर उतर आया है। उसने अब यहां 24 चीनी कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है. इसके साथ-साथ कुछ चीनी उद्योगपतियों को भी अपने टार्गेट में लिया है. अमेरिका ने कहा है कि ये वो चीनी कंपनियां हैं जो दक्षिण चीन सागर में निर्माण या मिलिट्री एक्शन के लिए चीन सरकार की मदद कर रही हैं.
इस बारे में अमेरिका के कॉमर्स डिपार्टमेंट ने यह जानकारी दी है. दावा किया कि चीनी मिलिट्री जो कुछ दक्षिण चीन सागर में कर रही है उसमें उन कंपनियों का भी रोल है. बता दें कि साउथ चाइना सी में चीन आर्टिफिशल आइलैंड बना रहा है, जिनकी वैश्विक स्तर पर निंदा हो चुकी है. साउथ चाइना सी प्रॉजेक्ट में जुड़े चीनी नागरिकों, बिजनसमैन पर भी अमेरिका कुछ वीजा पाबंदियां लगाने वाला है. इससे पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति कह चुके हैं कि वे लोग उन सामानाों का विरोध करेंगे जो चीनी मिलिट्री को फायदा पहुंचाए.
इससे पहले बुधवार को लाइव-फायर मिलिट्री एक्सरसाइज के दौरान चीनी एयर स्पेस में अमेरिकी मिलिट्री के एयरक्राफ्ट के घुस जाने से चीन तिलमिला गया था. अमेरिका ने लगातार दो दिन ऐसा किया. इसपर चीन ने कहा कि अमेरिका की यह हरकत उकसावे भरी है और इससे मिसजजमेंट और एक्सिडेंट्स के हालात बन सकते हैं.
बता दें कि चीन साउथ चाइना सी के 90 प्रतिशत हिस्से पर अपना अधिकार बताता है. दूसरी तरफ बुरनेई, मलेशिया, फिलिपींस, ताइवान, वियतनाम हैं तो इसके अलग-अलग हिस्सों पर अपना दावा बताते हैं. चीन की इस विस्तारवादी नीति के खिलाफ ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया, वियतनाम आदि देश भी वक्त-वक्त पर आवाज उठाते रहे हैं. यह रूट व्यापार के नजरिये से काफी अहम है. हर साल इस रूट से 3 ट्रिलियन डॉलर का सामान इधर-उधर जाता है.
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