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    अमेरिका और जर्मन कंपनी की कोरोना वैक्सीन तैयार हुई, 90% होगा लाभ

  • November 10, 2020


    वाशिंगटन । अमेरिका (US) की दिग्गज दवा कंपनी फाइजर (Pfizer) और जर्मनी की बायोटेक फर्म बायोएनटेक ( Germany’s biotech firm BioNotech) ने दावा किया है कि उनकी बनाई वैक्सीन कोरोना वायरस के इलाज में 90 फीसद से अधिक असरदार है। इन कंपनियों का कहना है कि उनकी वैक्सीन उन लोगों के इलाज में भी सफल हुई है, जिनमें कोरोना के लक्षण पहले से दिखाई नहीं दे रहे थे।

    वहीं, इस वैक्सीन की सफलता को लेकर हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव जीतने वाले जो बाइडन और ब्रिटिश पीएम बोरिस जॉनसन ने स्वागत किया है और कोरोना वैक्सीन के सफल परीक्षण को लेकर अपनी खुशी जाहिर की है। फाइजर के चेयरमैन और सीईओ डॉ. अल्बर्ट बौरला ने इसे लेकर कहा, ‘आज का दिन मानवता और विज्ञान के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हमारी कोविड-19 वैक्सीन के तीसरे फेज के ट्रायल में सामने आए परिणामों का पहला समूह हमारी वैक्सीन की कोविड-19 वायरस को रोकने की क्षमता को लेकर प्रारंभिक सुबूत दर्शाता है।’

    डॉ. अल्बर्ट ने कहा कि वैक्सीन डेवलपमेंट प्रोग्राम में यह सफलता ऐसे समय में मिली है जब पूरी दुनिया को इस वैक्सीन की जरूरत है और संक्रमण की दर नए रिकॉर्ड बना रही है। उन्होंने कहा कि संक्रमण की स्थिति ऐसी है कि अस्पतालों में क्षमता से ज्यादा मरीज पहुंच रहे हैं और अर्थव्यवस्था नीचे जा रही है।

    हालांकि, इस वैक्सीन का परीक्षण तब तक जारी रहेगा जब तक 164 पुष्ट मामले नहीं हो जाते। इसलिए इसकी प्रभाविता दर में बदलाव आने की अभी संभावना है। लेकिन, संक्रमण को रोकने के लिए 90 फीसद असरदार खोज खासी उत्साहजनक साबित हो रही है। वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण में 43 हजार से अधिक लोग शामिल हैं। दुनियाभर में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर अब पांच करोड़ सात लाख के पार हो गए हैं जबकि मरने वालों की संख्या भी 12 लाख 62 हजार से ऊपर है।

    इस बीच ब्रिटेन के अखबार द मेल के मुताबिक इस महीने के आखिर से देश में वैक्सीन का वितरण शुरू किया जा सकता है। शुरुआत में 80 साल से ज्यादा उम्र के लोगों और फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीका लगाया जाएगा। जबकि ऑस्ट्रेलिया ने एस्ट्राजेनेका नाम की कोविड-19 वैक्सीन का उत्पादन शुरू करने की घोषणा कर दी है। यह वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की मदद से तैयार की गई है। पहले लाखों की तादाद में वैक्सीन तैयार किए जाने के बावजूद उनका इस्तेमाल शुरुआत में परीक्षण के तौर पर ही होगा।

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