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    उर्मिल गुप्ता: तीन बार दी कैंसर को मात घर को बनाया ‘बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट’

  • January 21, 2023

    जो तूफ़ानों में पलते जा रहे हैं
    वही दुनिया बदलते जा रहे हैं।

    कैंसर जैसे खतरनाक जानलेवा मर्ज का नाम सुनते ही अच्छे-अच्छों के होश फाख्ता हो जाते हैं। मैं आपका तार्रुफ भौपाल की उस खातून से करा रहा हूं जिसने कैंसर को एक नहीं 3 बार मात दी है। इस कैंसर वारियर का नाम है उर्मिल गुप्ता। गेस राहत महकमे से सुबुकदोष (रिटायर्ड) हो चुकीं उर्मिल जरा अलग मिट्टी की बनी हैं। इनके शौहर बीएचईएल से रिटायर्ड अनिल गुप्ता इनका हर कदम पे साथ देते हैं। मिनाल रेसीडेंसी में रोज-322 नम्बर के बंगले पे जिसकी भी नजर पड़ती है वो कुछ देर उसे देखता ही रह जाता है। घर के इस अनूठे फलसफे पे आगे बात करेंगे पेले उर्मिल गुप्ता की कैंसर से लड़ाई का जिक्र कर लेते हैं। साल 2004 में इनकीं जिन्दगी में तब भूचाल आ गया जब बायप्सी टेस्ट में इन्हें कैंसर डायग्नोज हुआ। फिर शुरु हुआ तकलीफदेह कीमो और रेडिएशन का सिलसिला। इस दरम्यान भयंकर रूहानी और जिस्मानी दर्द को बर्दाश्त करते हुए जिन्दगी के दिन कटने लगे। कोई 2 बरस में उर्मिल ने अपनी हिम्मत और वक्त पे इलाज से बीमारी पे जीत हासिल कर ली। जैसे तैसे जिन्दगी की गाड़ी पटरी पे आई ही थी के साल 2008 में कैंसर रिलेप्स हो गया। फिर इलाज का दौर चला। उर्मिल ने तय किया के मुझे जीना है और हर हाल में कैंसर को हराना है। इसका फायदा हुआ और कैंसर हार गया और उर्मिल जीत गईं। इस दरम्यान बीमारी से ध्यान हटाने की नीयत से इन्होंने अपने घर पर ही कबाड़ से जुगाड़ और बेस्ट आउट ऑफ वेस्ट कॉन्सेप्ट पे काम शुरू कर दिया।



    लेकिन साल 2022 में इन्हें बड़ी आंत में कैंसर का पता चला। 19 बरस से इस बीमारी से लड़ रहीं उर्मिल जरा भी नहीं घबराई। लार्ज इंटेस्टाइन में कैंसर एकदम शुरुआती स्टेज में था। लिहाजा सर्जरी से उसे काट के निकाल दिया गया। और ये फिर से कबाड़ से जुगाड़ में लग गईं। इसके लिए डिस्पोजेबल कंटेनर्स, ग्लास, कटोरी, आयल केन, प्लास्टिक की वेस्ट बॉटल्स, प्लास्टिक के डब्बे, पेंट के डब्बे, फूूड कंटेनर्स को मुखतलिफ आकार में काट कर और उन्हें खुबसूरत रंगों से रंग कर घर के कमरों और बाहरी दीवारों पे लगा कर उनमे पौधे लगा दिए। इन प्लांटर्स में आपको कई शक्लें नजर आएंगी। इनके घर की दरो दीवार आपसे बात करती सी लगेगी। जिन्दगी से लबरेज, पॉजिटिव एनर्जी से भरपूर ये प्लांटर हर किसी को मुतास्सिर करते से लगते हैं। कैंसर वारियर उर्मिल गुप्ता कहती हैं कि रिटारमेंट के बाद अब मैं अपना पूरा वक्त नए कंटेनर बनाने में और उनमे फूल खिलाने में लगाती हूं। इन्होंने अपनी छत पे भी खूबसूरत टेरेस गार्डन बनाया है। वहीं ये जैविक खाद भी बनाती हैं। इनके घर मे बड़ेे टायर्स के सिटआउट भी सबको भाते हैं। स्वच्छता को लेकर इनके काम के लिए इन्हें स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता सेवा सम्मान से नवाजा जा चुका है। ये इस अनूठे काम की नि:शुल्क ट्रैनिंग भी देती हैं। इस मिशन मे इनके शौहर अनिल गुप्ता दिलोजान से ताव्वुन करते हैं। अनिल ब्लूड डोनेशन केम्प आयोजित कर समाज की मदद कर रहे हैं। बहरहाल उर्मिल गुप्ता उन हजारों लोगों के लिए इबरत (प्रेरणा) हैं जो कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं। आपके जज्बे को सलाम।

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