मैंने तो क़लम इश्क़ लिखने के लिए उठाई थी
ये बग़ावतें तो इस ज़माने की देन हैं।
पचास बरस से ज़्यादा बीत गए। उनकी क़लम मुसलसल चल रही है। वो इंटरनेट और कंप्यूटर की दुनिया से दूर इल्म और तमाम जानकारियों से भरपूर असल सहाफी (पत्रकार) हैं। पूरे मुल्क में उर्दू सहाफत में उनका नाम बड़े एहतराम के साथ लिया जाता है। ये हस्ती हैं, कमिटेड सहाफी आरिफ अज़ीज़ । आप 82 बरस के हैं और माशा अल्लाह इस उम्र में भी सहाफत को पूरे जोश के साथ जी रहे हैं। चेहरे पे सफेद झक शरई दाढ़ी, सफेद कुर्ते-पायजामे पे लाइट कलर की जैकेट में आरिफ अज़ीज़ गुजिश्ता 35 बरसों से भोपाल के मशहूर उर्दू अखबार नदीम में काम कर रहे हैं। इसी अखबार में आपने रिपोर्टर से लेके एडिटर तक का सहाफी सफर तय किया। 1935 से अस्सी की दहाई के आखिर तक नदीम लखेरे पुरे से निकलता था। नदीम की अवाम में मक़बूलियत इतनी थी के आज भी लोग उस इलाके को नदीम रोड के नाम से जानते हैं। एमपी नगर में जब प्रेस कॉम्प्लेक्स बना तो नदीम यहां शिफ्ट हो गया। क़मर अशफ़ाक साब के इन्तेकाल के बाद नदीम के एडिटर की जि़म्मेदारी आरिफ अज़ीज़ साब उठा रहे हैं। आज यहां इनका जि़कर इस लिए के इन्हें 5 जून बरोज़ इतवार मध्यप्रदेश उर्दू अकादमी और मेहकमाये सकाफत (संस्कृति विभाग) की जानिब से कुल हिन्द हकीम कमरुल हसन अवार्ड दिया जा रहा है।
इस अवार्ड में शॉल, प्रशस्ती पत्र के अलावा 51 हज़ार रुपये भी अदा किए जाएंगे। उर्दू सहाफत की खिदमात के लिए ये अवार्ड इन्हें दिया जा रहा है। नदीम के पहले आरिफ अज़ीज़ ने सेठ द्वारकाप्रसाद अग्रवाल (भास्कर ग्रुप) के उर्दू अखबार आफताब-ए-जदीद में भी मुलाज़मत करी। उस वक्त इशत्याक़ आरिफ साब एडिटर थे। खालिदा बिलग्रामी इनके साथ रिपोर्टर थीं। जदीद को छोडऩे के बाद ये प्यारे मियां के उर्दू अखबार अफ़कार में चले गए। जब अफ़कार ने इसे हिंदी में छापा तो आरिफ अज़ीज़ भोपाल टाइम्स में आ गए। ये क़मर जमाली साब का अखबार था।। रिज़वान मियां इसे देखते थे। मौलाना इमरान भोपाल टाइम्स से बावस्ता थे। 1988 में आरिफ अज़ीज़ ने नदीम अखबार को ज्वाइन किया। इस अखबार में आने से पहले आरिफ अज़ीज़ का मशहूर कॉलम तब्सिरा व तजि़्जय़ा बहुत मक़बूल हो चुका था। करंट टॉपिक पे बेस्ड ये कॉलम आज मुल्क के 12 अखबारों में शाया होता है। गुजिश्ता 12 बरसों से ये हर रोज़ कोलकाता के बड़े उर्दू अखबार अखबार-ए-मशरिक़ में एडिटोरियल भी लिख रहे हैं। इनके मुख्तलिफ आर्टिकलों पे इनकी इनकी किताब नब्ज़े दौरां, जि़क्रे जमील, तलाश व तास्सुर, मसाइले भोपाल, हद्दे निगाह, सूरज चांद सितारे और हज का सफरनामा मंजऱे आम पे आ चुकीं हैं। मुल्क के कई उर्दू अखबारों और रिसालों में अभी तक इनके 42 हज़ार आर्टिकल शाया हो चुके हैं। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया अवार्ड सहित कई अवार्ड से नवाज़े जा चुके आरिफ अज़ीज़ साहब को ये अवार्ड 5 जून को स्टेट म्यूजिय़म में दिया जाएगा। उर्दू अकादमी की डायरेक्टर नुसरत मेहंदी के मुताबिक ये अवार्ड संस्कृति मंत्री उषा ठाकुर प्रदान करेंगी। बहुत मुबारक हो आरिफ भाई।