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    UPSC ने पूजा खेडकर को किया बर्खास्त, भविष्य में भी नहीं बन पाएंगी IAS-IPS

  • July 31, 2024

    नई दिल्ली: विवादों में रही महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी आईएएस (Maharashtra cadre trainee IAS) पूजा खेडकर (Pooja Khedkar) की उम्मीदवारी को संघ लोक सेवा आयोग (Union Public Service Commission) ने रद्द कर दिया है. साथ ही यूपीएससी ने उन्हें ब्लैक लिस्ट भी कर दिया है यानी वह भविष्य में कभी यूपीएससी की परीक्षा में नहीं शामिल हो सकती हैं. यूपीएससी ने उन्हें नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया, जिसके बाद उन पर यह कार्रवाई की गई.

    यूपीएससी ने पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर की अनंतिम उम्मीदवारी रद्द कर दी है और उन्हें भविष्य की सभी परीक्षाओं/चयनों से स्थायी रूप से वंचित कर दिया है. उपलब्ध अभिलेखों की जांच के बाद यूपीएससी ने खेडकर को सीएसई-2022 नियमों के उल्लंघन का दोषी पाया. यूपीएससी ने वर्ष 2009 से 2023 तक पंद्रह हजार से अधिक अनुशंसित उम्मीदवारों के सीएसई डेटा के 15 वर्षों की समीक्षा की, जिसके बाद यह निर्णय लिया गया.

    खेडकर को 18 जुलाई 2024 को फर्जी पहचान बताकर परीक्षा नियमों में निर्धारित उम्र सीमा से अधिक प्रयास करने के लिए कारण बताओ नोटिस (एससीएन) जारी किया था. उन्हें 25 जुलाई 2024 तक एससीएन का जवाब देना था. हालांकि उन्होंने 4 अगस्त 2024 तक का समय मांगा ताकि वे अपने जवाब के लिए आवश्यक दस्तावेज जुटा सकें.


    यूपीएससी ने पूजा खेडकर के अनुरोध पर सावधानीपूर्वक विचार किया और न्याय के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए उन्हें 30 जुलाई 2024 को दोपहर 3:30 बजे तक का समय दिया गया था ताकि वह कारण बताओ नोटिस का जवाब दे सकें. आयोग ने उन्हें यह भी स्पष्ट रूप से बता दिया था कि यह उनके लिए अंतिम अवसर है और समय में कोई और विस्तार नहीं दिया जाएगा.

    उन्हें यह भी स्पष्ट शब्दों में बताया गया कि यदि उपरोक्त तिथि/समय तक कोई जवाब नहीं मिलता है, तो यूपीएससी उनसे कोई और संदर्भ लिए बिना आगे की कार्रवाई करेगा. उन्हें दिए गए समय में विस्तार के बावजूद वह निर्धारित समय के अंदर अपना स्पष्टीकरण देने में विफल रहीं, जिसके बाद आयोग ने उन पर कार्रवाई की.

    उन्होंने न केवल अपना नाम बल्कि अपने माता-पिता का नाम भी बदला था. वहीं आयोग ने यह भी कहा कि जहां तक ​​झूठे प्रमाण पत्र (विशेष रूप से ओबीसी और पीडब्ल्यूबीडी श्रेणियों) जमा करने के बारे में शिकायतों का सवाल है, तो यूपीएससी यह स्पष्ट करना चाहता है कि वह प्रमाण पत्रों की केवल प्रारंभिक जांच करता है. जैसे कि क्या प्रमाण पत्र सक्षम प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया है, प्रमाण पत्र किस वर्ष का है, प्रमाण पत्र जारी करने की तिथि, क्या प्रमाण पत्र पर कोई ओवरराइटिंग है, प्रमाण पत्र का प्रारूप आदि.

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