उज्जैन। भाजपा ने आगामी लोक सभा चुनाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है, वहीं कांग्रेस भी लोकसभा चुनावों को लेकर अभी से कमर कसने की तैयारी कर ली है। हालांकि न तो अभी एआईसीसी से निर्देश आए हैं और न ही एमपीसीसी से, फिर भी जिन्हें चुनाव लडऩा है। ऐसे में दोनों ही पार्टी अंदर ही अंदर अपनी बिसात बिछाने में लग गए हैं।
उल्लेखनीय हैं कि पिछली बार उज्जैन में लोकसभा चुनाव में भाजपा की ओर से अनिल फिरोजिया और कांग्रेस के बाबूलाल मालवीय के बीच मुकाबला हुआ था। हालांकि जिस तरह से विधानसभा चुनाव में क्षेत्र भाजपा से महापौर मुकेश टटवाल, प्रोफेसर चिंतामणि मालवीय, वर्तमान सांसद अनिल फिरोजिया सक्रिय नजर आए हैं, उससे लग रहा है कि वे एक बार फिर अपना भाग्य आजमाने के लिए लोक सभा चुनाव मैदान में उतर सकते हैं। अभी उनकी ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। वहीं कांग्रेस की ओर से प्रबल दावेदार के रुम में तराना विधायक महेश परमार रहेंगे, इसके अलावा कांग्रेस नेता दीपक मेहरे, कमल चौहान और सुरेंद्र मरमट जैसे युवा चेहरे भी कांग्रेस से प्रबल दावेदार रहेंगे। फिलहाल उन्होंने भी सार्वजनिक तौर पर ऐसी कोई मंशा जाहिर नहीं की है। हालांकि भाजपा की सरकार बनने के बाद लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस की तैयारियां भी तेज हो गई हैं।
कांग्रेस कार्यालय पर सन्नाटा, अधिकांश कांग्रेसी उज्जैन से बाहर क्षीर सागर क्षेत्र स्थित कांग्रेस कार्यालय भवन पर पिछले तीन दिनों से सन्नाटा पसरा हुआ है। जो कांग्रेसी कार्यालय के अंदर बैठकर जीत के गणित बिठा रहे थे, वे कहीं नजर नहीं आ रहे हैं। कई पदाधिकारी तो शहर से बाहर निकल गए हैं तो कहीं देवदर्शन को रवाना हो गए हैं। कांग्रेसियों को भी आशा नहीं थी कि पार्टी इतनी बुरी तरह से चुनाव हारेगी। कांग्रेसी सर्वे से उत्साहित थे और फिर जब एग्जिट पोल आया तो वे उसे झुठला रहे थे। 17 नवम्बर को मतदान के बाद से 3 दिसम्बर के बीच कांग्रेस कार्यालय में कांग्रेसी जीत के गणित बैठा रहे थे और कई बार कांग्रेसियों ने तो मुंहजोरी कर ली थी कि सरकार बनने के बाद किस विधायक को कौन-सा मंत्री बनाया जाएगा और उज्जैन से कितने मंत्री बनेंगे, लेकिन 3 दिसम्बर ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया और उज्जैन की 7 सीटें में से 5 भाजपा की झोली में गई हीं, वहीं पूरे प्रदेश में 163 सीटों पर भाजपा ने अपना कमल खिला दिया। इस आंधी में कई दिग्गज भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। 4 दिसम्बर की सुबह से ही कांग्रेस कार्यालय पर सन्नाटा पसरा हुआ है। हालांकि चुनाव के दौरान भी बहुत ही कम कांग्रेसी आ-जा रहे थे, लेकिन अब तो यहां कांग्रेसी झांक तक नहीं रहे हैं। जो हार गए हैं वे हार भुलाने के लिए देवदर्शन को निकल गए हैं तो कई छुट्टी मनाने के लिए पर्यटनस्थल पर पहुंच गए हैं। फिलहाल भोपाल से कोई निर्देश नहीं आने के कारण कांग्रेस की गतिविधि ठप्प पड़ी हुई है।