डेस्क: सार्वजनिक शोध संस्थान नीति आयोग ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत लोन लेने वालों की पात्रता का आकलन करने और उनके बैकग्राउंड के वेरिफिकेशन के लिए गाइडलाइन तैयार करने की बात कही है। खबर के मुताबिक, आयोग ने पीएमएमवाई के प्रभाव का आकल शीर्षक वाली एक रिपोर्ट में लोन स्वीकृति के लिए ई-केवाईसी वेरिफिकेशन को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया है। इससे मूल्यांकन जांच की दक्षता बढ़ेगी।
खबर के मुताबिक, नीति आयोग ने अपनी वेबसाइट पर जारी की गई रिपोर्ट में कहा कि इस लोन के लिए गारंटी नहीं होती है, ऐसे में उचित जोखिम जांच और मूल्यांकन की इस योजना के नतीजों और सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका है। ऐसे में बैंकों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए ऋण पात्रता और बैकग्राउंड के वेरिफिकेशन के गाइडलाइंस सूचीबद्ध किए जाने चाहिए। पीएमएमवाई के तहत ज्यादातर कर्जदार छोटे उद्यमी हैं जिनके पास बहुत सीमित दस्तावेज हैं और इससे बैंकों के लिए सत्यापन जांच करना मुश्किल हो जाता है।
सरकारी आंकड़े कहते हैं कि वित्त वर्ष 2024-25 में प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 9 अगस्त 2024 तक कुल 1,26,38,117 लोन दिए गए, जिसकी वैल्यू 1,26,409 रुपये है। प्रधान मंत्री मुद्री योजना के तहत लोन एक बैंक, एनबीएफसी, एमएफआई आदि की शाखा कार्यालय से हासिल किए जा सकते हैं। www.mudramitra.in पर मुद्रा लोन के लिए ऑनलाइन अप्लाई किया जा सकता है। मुद्रा योजना के तहत ‘शिशु’, ‘किशोर’ और ‘तरुण’ कैटेगरी में लोन दिए जाते हैं।
भारत सरकार की इस योजना को लेकर 23 जुलाई को आम बजट में बड़ी घोषणा हुई थी। वित्त मंत्री ने इस योजना के तहत मिलने वाली अधिकतम 10 लाख रुपये की राशि की सीमा को बढ़ाकर 20 लाख रुपये करने का प्रस्ताव किया है। यानी मुद्रा योजना के तहत अब 20 लाख रुपये तक आप लोन ले सकते हैं। इस योजना की शुरुआत 8 अप्रैल 2015 को की गई थी।
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