लखनऊ (Lucknow)। पीलीभीत (Pilibhit) से भाजपा सांसद वरुण गांधी (BJP MP Varun Gandhi) को इंडिया गठबंधन (India alliance) भी लड़ाने के लिए तैयार है। लेकिन, वे किस दल से लड़ेंगे, यह असमंजस अभी बरकरार है। पिछले सप्ताह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) से उनकी मुलाकात के बाद इन चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया है कि भाजपा ने उनके लिए दरवाजे बंद नहीं किए हैं। अलबत्ता, भाजपा में एक परिवार-एक टिकट का फॉर्मूला लागू होने पर उनके सामने टिकट को लेकर मुश्किलें आ सकती हैं। पीलीभीत (Pilibhit) मेनका गांधी परिवार का गढ़ (Stronghold of Maneka Gandhi family) माना जाता है। मेनका गांधी 1989 में जनता दल के टिकट पर यहां से पहली बार सांसद बनीं। मेनका यहां से अब तक छह बार सांसद रह चुकी हैं। इस दौरान दो बार निर्दलीय भी जीतीं। 2009 और 2019 में यह सीट उन्होंने अपने बेटे वरुण गांधी को छोड़ी। वर्तमान में वरुण गांधी पीलीभीत से सांसद हैं।
वरुण गांधी कई बार अपनी ही सरकार की नीतियों पर सार्वजनिक रूप से सवाल उठा चुके हैं। ऐसे में भाजपा से उन्हें टिकट न मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं। भाजपा से टिकट कटने संबंधी चर्चाओं के दायरे में मेनका गांधी भी लगातार बनी हुई हैं। इंडिया के सूत्रों के मुताबिक, वरुण गांधी को उनका गठबंधन भी लड़ाने के लिए तैयार है। यह भी हो सकता है कि वरुण गांधी के खिलाफ इंडिया गठबंधन का प्रत्याशी ही न उतारा जाए। या फिर किसी घटक दल से वे उम्मीदवार बन जाएं। इसके लिए तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख बात भी कर चुकी हैं।
इधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से वरुण गांधी की मुलाकात के बाद उन्हें भाजपा से टिकट मिलने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। बताते हैं कि वरुण गांधी ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि भाजपा के किसी भी नेता के खिलाफ उन्होंने कभी कुछ नहीं बोला। हां, कुछ मुद्दों पर आवाज जरूर उठाई है। सूत्रों का कहना है कि भाजपा के अंदरूनी सर्वे के नतीजे भी वरुण और मेनका के लिए नकारात्मक नहीं बताए जा रहे हैं। यही वजह है कि शीघ्र ही वरुण की मुलाकात दिल्ली में भाजपा के एक वरिष्ठ नेता से होने जा रही है। इन वरिष्ठ नेता को यूपी में अहम जिम्मेदारी मिली हुई है।
पीएम के कई पोस्ट वरुण ने किए रिपोस्ट
राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि वरुण की पहली पसंद भाजपा के टिकट पर ही चुनाव लड़ने की है। हाल ही में वरुण गांधी पीएम के एक्स पर कई पोस्ट को अपने अकाउंट से रिपोस्ट भी कर चुके हैं। इससे भी उनकी मंशा को समझा जा सकता है। पूरे देश में मां-बेटे के एक साथ भाजपा से लोकसभा सांसद होने का उदाहरण मेनका और वरुण ही हैं। एक कयास यह भी है कि एक परिवार-एक टिकट के फॉर्मूले को भाजपा ने सख्ती से लागू किया गया तो वरुण का पत्ता कट सकता है। बताते हैं कि उस स्थिति में वरुण को इंडिया से भी लड़ने में कोई गुरेज न होगा।
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