प्रयागराज (Prayagraj) । परिषदीय प्राथमिक स्कूलों (council primary schools) में 2011 में शुरू हुई 72825 प्रशिक्षु शिक्षक भर्ती (trainee teacher recruitment) के अंतर्गत 12091 चयनितों की सूची को लेकर सात साल से अधिक समय से चला आ रहा विवाद अब पूरी तरह से समाप्त हो चुका है। इस सूची में शामिल अभ्यर्थियों की नियुक्ति देने संबंधी एसएलपी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को खारिज कर दी। यह एसएलपी 12091 चयन सूची में शामिल अभ्यर्थियों की ओर से हाईकोर्ट के डबल बेंच के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई थी।
अभ्यर्थियों ने पिछले साल याचिका दायर की थी 12091 चयन सूची में शामिल कुछ अभ्यर्थियों ने पिछले साल नियुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई सुनवाई किए बगैर 27 सितंबर 2023 को याचिका हाईकोर्ट को संदर्भित कर दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट में अपनी बात रखने को कहा था। हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान सिंगल बेंच ने 12 जनवरी 2024 को कहा था कि जिनकी काउंसिलिंग न हुई हो, उनकी काउंसिलिंग कराते हुए नियुक्ति पत्र जारी किया जाए। इसके खिलाफ राज्य सरकार की स्पेशल अपील पर हाईकोर्ट की डबल बेंच ने 16 अप्रैल को एकल पीठ के आदेश को यह कहते हुए रद्द कर दिया था कि नियुक्ति प्रक्रिया शुरू होने के 13 वर्ष बाद काउंसिलिंग कराने का आदेश नहीं दिया जा सकता है। इससे असंतुष्ट 12091 चयन सूची में शामिल कुछ अभ्यर्थियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जो सोमवार को खारिज हो गई।
चयनित अभ्यर्थियों का पक्ष रख रहे एडवोकेट अग्निहोत्री कुमार त्रिपाठी का कहना था कि 72825 सहायक अध्यापकों की भर्ती का मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर बेसिक शिक्षा परिषद ने 65 से 70 प्रतिशत अंक पाने वाले योग्य अभ्यर्थियों की सूची तैयार की। जिसमें 12091 अभ्यर्थी चयनित हुए। उनकी काउंसलिंग भी करा ली गई लेकिन उन्हें नियुक्ति पत्र जारी नहीं किया गया। उधर, राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर यह जानकारी दी कि कुल 66655 अभ्यर्थियों की नियुक्ति कर दी गई है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने याचियों को हाईकोर्ट के समक्ष अपनी बात रखने का निर्देश दिया। उसके बाद यह याचिका दाखिल की गई। हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांगा था और अंत में 16 अप्रैल 2024 को फैसला दिया था कि 13 साल पुरानी भर्ती में काउंसिलिंग का आदेश नहीं दिया जा सकता। अदालत के फैसले को चैलेंज करते हुए कुछ अभ्यर्थी फिर से सुप्रीम कोर्ट गए थे जहां उनकी याचिका खारिज कर दी गई।
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