उज्जैन। गर्मी की छुट्टियां शुरू होते ही ट्रेनों में यात्रियों की संख्या में इजाफा हुआ है। लोग छुट्टियां मनाने के लिए आरक्षण कराकर यात्रा कर रहे हैं। यही कारण है कि ट्रेनों में कुल क्षमता से 50 फीसद से अधिक टिकट बुक किए जा रहे हैं। आरक्षण खिड़की से वेटिंग टिकट लेकर यात्री ट्रेनों के स्लीपर कोच में घुस रहे हैं। इसके चलते ट्रेनों के स्लीपर कोच के हालात जनरल से भी बदतर हो चुके हैं। 72 बर्थ के क्षमता वाले एक कोच में 200 तक यात्री घुस जाते हैं। उज्जैन से गुजरने वाली अधिकतर ट्रेनों में यही स्थिति बनी हुई है।
स्लीपर कोच में नहीं पहुंचता चैकिंग स्टाफ
ट्रेनों में रात के समय यात्रियों की भीड़ बढ़ जाती है। यात्रियों का प्रयास रहता है कि वे रात का समय सोते हुए सफर कर सकें, ताकि अगले दिन का लाभ उन्हें घूमने-फिरने के रूप में मिल सके। इसके चलते ज्यादातर रात की ट्रेनों में टिकट बुक हो रहे हैं। यात्री जब कन्फर्म टिकट लेकर कोच में सवार होने की कोशिश करता है, तो उसे भीड़ में जूझना पड़ता है। कोच में सवार होने पर पता चलता है कि उसकी बर्थ पर किसी और यात्री ने कब्जा कर लिया है। जब वह टिकट चेकिंग स्टाफ को ढूंढता है, तो पता चलता है कि स्लीपर कोचों से स्टाफ ही गायब रहता है। ट्रेनों में भारी भीड़ को देखते हुए टीटीइ भी स्लीपर कोचों में टिकट चेक करने के लिए नहीं पहुंचते हैं।
टिकट रद्द कराने पर कट रहे पैसे
गर्मी का सीजन शुरू होते ही रेलवे द्वारा जमकर वेटिंग टिकट जारी किए जाते हैं। यह सिर्फ राजस्व वसूली का एक तरीका है। गर्मी के सीजन में यात्री भी टिकट काउंटर से ही टिकट लेना पसंद करते हैं, क्योंकि काउंटर से जारी वेटिंग टिकट पर यात्रा की जा सकती है। ट्रेनों में चलने वाली भीड़भाड़ को देखते हुए या फिर टिकट कन्फर्म होने की संभावना न के बराबर होने पर यात्रियों द्वारा जब वेटिंग टिकट को निरस्त कराने की प्रक्रिया की जाती है, तो उसमें भी रेलवे द्वारा राशि काटी जाती है। स्लीपर क्लास में 60 रुपए से लेकर एसी क्लास में 70 रुपए तक राशि काटी जा रही है। यह नुकसान न हो, इसके लिए यात्रियों को मजबूरी में यात्रा करनी पड़ रही है।
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