हाथरस: हाथरस हादसे को लेकर एक बड़ा सच सामने आया है. पुलिस की जांच में पता चला है कि भोले बाबा के सत्संग के दौरान ट्रैफिक से लेकर सुरक्षा व्यवस्था तक की जिम्मेदारी 12 हजार सेवादारों के कंधे पर थी. यहां तक कि जिन पुलिसकर्मियों को ड्यूटी पर भेजा गया था, उन्हें भी सेवादारों ने पीछे कर दिया था. इस बात को लेकर पुलिस के साथ उनकी झड़प भी हुई थी. चूंकि पुलिसकर्मियों की संख्या कम थी, इसलिए पुलिस ने उस समय खुद ही पीछे हटना मुनासिब समझा था.
इस इनपुट के बाद हाथरस पुलिस ने नए सिरे से जांच शुरू कर दी है. पुलिस यह जानने की कोशिश कर रही है कि इन 12 हजार सेवादारों को कौन नियंत्रित कर रहा था और किसके कहने पर इन सेवादारों ने पुलिस के साथ भी दुर्व्यवहार किया था. जांच कर रही टीम के मुताबिक पंडाल में श्रद्धालुओं की भीड़ 7 लाख से भी अधिक थी. इस दौरान व्यवस्था के लिए भोले बाबा के 12 हजार से अधिक सेवादार तैनात किए गए थे. वहीं इतनी भीड़ को संभालने के लिए हाथरस पुलिस की ओर से गिनती के पुलिस कर्मियों की ड्यूटी लगी थी.
ऐसे में जब पुलिस ने भोले बाबा के आने जाने वाले मार्ग को ब्लाक किया तो बाबा के कमांडो आगे आ गए और उन लोगों ने पुलिसकर्मियों को धकियाकर पीछे कर दिया और खुद ड्यूटी करने लगे. उस समय पुलिस के साथ उनकी झड़प भी हुई, लेकिन बाद में पुलिस वाले खुद ही पीछे हट गए. इसके बाद सेवादारों ने पंडाल के अंदर से लेकर बाहर तक और पंडाल की ओर आने वाले रास्ते पर करीब आधा किमी की सड़क अपने सुरक्षा घेरे में ले ली थी.
पुलिस सूत्रों की मानें तो तो पहले ड्यूटी में तैनात पुलिसकर्मियों ने इसका विरोध किया, लेकिन चूंकि उनकी खुद की संख्या कम थी और भीड़ ज्यादा. इसलिए पुलिस वालों ने खुद को पीछे कर लिया. जांच टीम में शामिल पुलिस अधिकारियों के मुताबिक हादसे के वक्त भोले बाबा मौके पर ही थे. उन्होंने अपनी आंखों से भगदड़ होते और लोगों को एक दूसरे को रौंदते देखा.
बावजूद इसके वह व्यवस्था बनाने में सहयोग करने के बजाय अपनी गाड़ी में बैठकर निकल गए थे. पुलिस सूत्रों के मुताबिक हादसा भी भोले बाबा की वजह से हुआ. दरअसल पंडाल से निकले कर एग्जिट के पास कुछ पल के लिए रूक गए थे. ऐसे में भक्त भी उनके चरणों की धुलि लेने के लिए दौड़ पड़े. ऐसे में उनके कमांडो ने भक्तों के साथ धक्कामुक्की शुरू कर दी. इसके चलते देखते ही देखते हालात बेकाबू हो गए.
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