लखनऊ । उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के आठ प्रमुख कार्यालयों पर सोमवार को अचानक पुलिस की सुरक्षा लगा दी गयी है। कार्यालयों पर रहने वाले संघ के वरिष्ठ प्रचारकों की सुरक्षा के मद्देनजर संबंधित थाने से पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगायी गयी है।
उल्लेखनीय है कि बीते 16 फरवरी को उत्तर प्रदेश के अपर पुलिस महानिदेशक कानून व व्यवस्था प्रशांत कुमार ने एक खुलासा करते हुए लखनऊ के गुडंबा थाना क्षेत्र के पिकनिक स्पॉट के निकट से पीपुल्स फ्रंट आफ इंडिया (पीएफआई) के दो सदस्यों बदरुद्दीन और फिरोज के गिरफ्तार होने की जानकारी दी थी।
पीएफआई सदस्यों ने पूछताछ में हिन्दू संगठनों के पदाधिकारियों को निशाना बनाने और दंगा भड़काने की योजना से कार्य करने की बात कबूली थी।
केरल के रहने वाले बदरुद्दीन और फिरोज की लखनऊ में गिरफ्तारी के बाद सामने आये बयान से उत्तर प्रदेश पुलिस के आला अधिकारियों ने एक विभागीय बैठक में संघ कार्यालयों को सुरक्षा मुहैया कराने को लेकर निर्णय किया।
आला अधिकारियों ने हाथरस में दंगा भड़काने में गिरफ्तार हुए पीएफआई के राउफ शरीफ के बयान को भी गंभीर माना और संघ कार्यालयों पर सुरक्षा इंतजाम को मजबूत करने की बात कही। हाथरस में पीएफआई और उसकी छात्र इकाई सीएफआई की मुख्य भूमिका का पता लगा था।
पुलिस व संघ सूत्रों की माने तो पीएफआई तथा अन्य आतंकी संगठनों की ओर से यूपी में जातिय दंगा भड़काने के कई दस्तावेज बरामद हुये हैं। मुख्य रूप से दलितों पर अत्याचार व हत्या कर दंगा भड़काने की योजना है। इसके अलावा उनकी सूची में हिन्दू समाज को भड़काने के लिए आरएसएस से जुड़े अधिकारियों पर हमले व संघ कार्यालय भी निशाने पर हैं।
इसके साक्ष्य मिलने के बाद पुलिस प्रशासन ने उप्र के वाराणसी, प्रयागराज, गोरखपुर, लखनऊ, कानपुर, आगरा तथा मेरठ स्थित प्रान्त कार्यालयों की सुरक्षा बढ़ा दी है।
संघ के एक उच्च अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि आरएसएस कार्यालयों पर उपद्रवी व आतंकी हमलों का अंदेशा है। इसे देखते हुए पुलिस प्रशासन की ओर से प्रान्त कार्यालयों पर सुरक्षाकर्मी तैनात किये गए हैं। पुलिस सुरक्षा से स्वयंसेवकों को थोड़ी कठिनाई होगी, लेकिन इसका पालन करना सभी स्वयंसेवकों का कर्तव्य है।
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