नई दिल्ली (New Delhi) । उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के चार अलग-अलग शहरों से सामने आई चार खबरों ने सूबे में पुलिस (Police) का असली चेहरा उजागर कर दिया है. उनकी पोल खोलने के लिए ये खबरें काफी हैं. इनमें कहीं तो पुलिस झूठे इल्जाम में किसी पर इतना जुल्म ढाती है कि वो हालात से हार कर खुदकुशी (suicide) कर लेता है. कहीं जिन वर्दीवालों पर कायदे कानून की हिफाजत की जिम्मेदारी है, वही वर्दीवाले किसी कारोबारी (businessman) को डरा धमका कर उससे 50 किलो चांदी लूट लेते हैं. कहीं लूट की शिकायत लेकर पहुंचे फरियादी की मदद करने की जगह खुद पुलिस ही लूट के माल का बंदरबांट करने लगती है और कहीं थाने पहुंचा फरियादी ही बड़े साहब के पट्टों के वार से इस कदर तिलमिला उठता है कि पुलिस के नाम से ही कांपने लगता है.
पुलिस हिरासत में मर्डर
यूपी पुलिस के इकबाल की बात करें तो और दो खबरों का जिक्र भी जरूरी है. ये खबरें यह बताने के लिए काफी हैं कि इस सूबे में ना तो पुलिस का ईमान खरा है और ना ही इकबाल बुलंद. क्योंकि यहां पुलिस की आंखों के सामने ही गुंडे बदमाश अपने दुश्मनों को निशाना बना रहे हैं, पुलिस हिरासत में ताबड़तोड़ गैंगवार चल रहा है और सुपारी किलिंग को अंजाम दिया जा रहा है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कोई पुलिस पर यकीन करे तो कैसे करे?
विजय यादव का कबूलनामा
लेकिन इससे पहले कि यूपी पुलिस की करतूतों पर बात करें, पुलिस के इकबाल को पलीता लगाने वाले शूटर विजय यादव की बात सुन लें. उसने अपने कुबूलनामे में बताया है कि कैसे उसने सुपारी लेकर मर्डर किया था. ये वही विजय यादव है, जिसने 7 जून को लखनऊ के कोर्ट रूम में गैंगस्टर संजीव जीवा को गोलियों से भून दिया था. विजय ने अपने कुबूलनामे में उस शूटआउट के पीछे की साजिश का खुलासा किया है और बताया है कि जीवा ने लखनऊ जेल में एक शख्स की दाढ़ी नोच ली थी, जिसके बदले के लिए उसके भाई ने विजय यादव को 20 लाख की सुपारी दी और तब उसने जीवा का कत्ल किया. अब आइए पुलिस के ईमान की पोल खोलनेवाली चार खबरों का सच एक-एक कर समझने की कोशिश करते हैं.
लखनऊ पुलिस की करतूत
पहली खबर राजधानी लखनऊ की है, जहां पुलिसवालों की कथित ज्यादती से आजिज आकर एक होनहार नौजवान खुदकुशी करने को मजबूर हो जाता है. वो नौजवान जो अपने होमटाउन से लखनऊ में यूपीएससी की तैयारी करने के इरादे से आया था, ताकि वो अपने घरवालों को सपोर्ट करने के साथ-साथ पढ़ लिख कर देश के भी काम आ सके. लेकिन यहां वर्दीवालों ने बीच रास्ते में ही उसके सारे सपने चकनाचूर कर दिए. आशीष ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि पुलिस ने उसे और उसके भाइयों को पहले तो धोखे से थाने में बुलाया और फिर डरा धमका कर सादे कागज पर दस्तखत करा लिए, जिसके चलते वो खुदकुशी करने जा रहा है. जाते-जाते उसने लिखा है कि लखनऊ का पूरा का पूरा रहीमाबाद थाना ही भ्रष्ट है.
पुलिस की धमकी से तंग आकर आत्महत्या
असल में आशीष के घरवालों का नंदू विश्वकर्मा नाम के एक शख्स के साथ केस मुकदमों का पुराना सिलसिला चला आ रहा था. इल्जाम है कि इसी कड़ी में नंदू विश्वकर्मा ने इस बार रहीमाबाद थाने के कुछ पुलिसवालों के साथ मिलकर आशीष और उसके भाइयों के खिलाफ एक नया केस दर्ज करवा दिया. जिसके बाद रहीमाबाद थाने के राजमणि, लल्लन और मोहित नाम के तीन पुलिसवालों ने आशीष और उसके भाई से भयादोहन की यानी डरा धमका कर वसूली की शुरुआत कर दी. केस को हल्का करने के लिए उनसे 50 हजार रुपये मांगने लगे और तब हालात से हार कर आशीष ने खुदकुशी कर ली.
यूपी पुलिस की साख पर बट्टा
सोचने वाली बात ये है कि जब सूबे की राजधानी में ही पुलिसवालों का ये हाल है, तो फिर सुदूर ग्रामीण इलाकों में पुलिस का गुंडाराज कैसा चलता होगा. ये और बात है कि अब पुलिस ने सुसाइड नोट में नाम आने वाले अपने मुलाजिमों को लाइन हाजिर कर मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन ये वारदात पुलिस की साख पर बट्टा लगाने के लिए काफी है.
औरैया पुलिस की करतूत
लखनऊ के बाद अब औरैया की बात करें, जहां पुलिस ने गजब ही कर दिया. पुलिस को अब तक लोगों से रिश्वत मांगते तो सुना था, डराने धमकाने के इल्जाम भी उस पर लगते रहे थे, लेकिन पुलिस खुद ही लूटपाट करने लगे, ऐसा थोड़ा कम होता है. मगर औरैया से ऐसा ही मामला सामने आया है. वहां खुद एसपी मैडम ने पुलिस ऑफिस में एक बैग की तलाशी ली, उस बैग में पुलिसवालों के हाथों एक कारोबारी से लूटी गई चांदी रखी थी. कारोबारी से पुलिसवालों ने ये लूट आखिर कैसे की, खुद एसपी साहिबा ने इसकी जानकारी दी. ये करतूत देखकर मैडम ने अपने ही मातहतों के हाथों में हथकड़ियां डलवा दीं.
ऐसे खुली पुलिसकर्मियों की पोल
असल में औरैया में कुछ पुलिसवालों ने बांदा से चांदी लेकर आ रहे एक व्यापारी को चेकिंग के नाम पर रोका और पेपर ना होने के नाम पर ना सिर्फ चांदी लूट ली, बल्कि उसे थाने में लाकर रख लिया. लेकिन जब जांच हुई, तो वर्दी की साख को मटियामेट करने वाले पुलिसकर्मियों की पोल खुल गई.
वाराणसी पुलिस की करतूत
अब बात वाराणसी की, जहां करीब डेढ़ करोड़ रुपये की लूट के मामले की लीपापोती करने के इल्जाम में तकरीबन पूरा का पूरा थाना ही सस्पेंड हो गया. सीनियर अफसरों ने थाने के इंस्पेक्टर समेत 7 पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया. असल में गुजरात की एक एग्रीकल्चर कंपनी ने पुलिस में शिकायत दी थी कि सारनाथ के अजीत मिश्रा ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर 29 मई की रात को कंपनी के एक करोड़ 40 लाख रुपये लूट लिए. लेकिन इतने संगीन मामले की शिकायत मिलने पर भी पुलिस ने गुनहगारों की धरपकड़ की कोशिश करने की बजाय उल्टा मामले की लीपापोती शुरू कर दी.
लूट के पैसों की बंदरबांट की कोशिश
बाद में एक कार से करीबन 93 लाख रुपये बरामद भी हुए, लेकिन जांच आगे नहीं बढ़ी. इस पर जब सीनियर अफसरों ने जांच की, तो कुछ पुलिसवालों की भूमिका संदिग्ध पाई और आखिरकार उन्हें सस्पेंड कर दिया गया. जाहिर है ये अफसर लूट के पैसों का बंदरबांट करने की कोशिश कर रहे थे. इस मामले की जानकारी खुद वाराणसी के अपर पुलिस आयुक्त (मुख्यालय एवं अपराध) संतोष सिंह ने दी.
बदायूं पुलिस की करतूत
अब बात उस खबर की, जो किसी का भी दिमाग घुमा देने के लिए काफी है. खबर यूपी के ही बदायूं जिले की हैं, जहां चौकी में अपनी शिकायत दर्ज करवाने पहुंचे एक फरियादी को ही चौकी इंचार्ज सुशील कुमार ने पट्टे से जमकर पीटा. वो शख्स छटपटाता रहा, रहम की भीख मांगता रहा लेकिन साहब के हाथ नहीं रुके. हार कर फरियादी ने अपने कपड़े उतार दिए और कहा- ठीक है साहब मारिए. मार-मार कर जान ले लीजिए और क्या करेंगे आप? घटना का वीडियो भी वायरल हो गया. चौकी इंचार्ज की मंशा और करतूत दोनों ही उजागर हो गई.
यूपी पुलिस से इंसाफ की उम्मीद कौन करेगा?
अब जरा सोचिए, जहां पुलिस थाने में फरियादी पर ऐसा जुल्म करे, वहां इंसाफ की उम्मीद कैसे की जा सकती है. इल्जाम है कि मई के आखिरी हफ्ते में शिकायत दर्ज कराने आए पिंटू जाटव नाम के शिकायकर्ता को चौकी इंचार्ज सुशील कुमार कुछ इसी तरह पीटा था, क्योंकि इंचार्ज साहब दूसरे पक्ष से कुछ ज्यादा ही प्रभावित थे. वजह आप समझ सकते हैं. फिलहाल इंचार्ज साहब सस्पेंड हो चुके हैं. लेकिन यूपी पुलिस की ऐसी कहानियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. आए दिन सूबे के पुलिसवाले ही खाकी को दागदार करने पर तुले रहते हैं. और योगी सरकार के दावों को हवा में उड़ाते हैं.
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