मैनपुरी । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने गंगा (Ganga) की सहायक ईशन नदी (Ishan River) के संरक्षण संबंधी याचिका की सुनवाई करते हुए एटा-मैनपुरी (Etah-Mainpuri) समेत यूपी (UP) के पांच जिलों के जिलाधिकारियों (District Officers) से जवाब तलब किया। इनके अलावा प्रमुख सचिव, पर्यवेक्षण, वन व जलवायु परिवर्तन विभाग उप्र व उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष को भी नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। मामले की अगली सुनवाई 17 जुलाई को होगी।
मैनपुरी के अलावा जिन अन्य जिलों के जिलाधिकारियों से जवाब मांगा गया है उनमें कन्नौज, हाथरस, कानपुर देहात शामिल हैं। नदी के संरक्षण संबंधी याचिका अजय प्रताप सिंह बनाम डीएम मैनपुरी के नाम से भी प्रचलित है।
याचिका लगाने वाले अधिवक्ता अजय प्रताप सिंह ने न्यायाधिकरण को बताया कि अलीगढ़ गजेटियर रिकॉर्ड के अनुसार, ईशन नदी का उद्गम हाथरस के सिकंदराराऊ के निकट स्थित झीलों से हुआ है मगर, अतिक्रमण के कारण वर्तमान में रोहतम झील और ईशन नदी का संपर्क टूट गया है। झील पर अतिक्रमण हो गया है।
एटा, मैनपुरी में ईशन नदी के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में अवैध निर्माण हो गए हैं। मैनपुरी शहर में शहर का प्रमुख नाला नदी में गिर रहा है। ईशन नदी गंगा की सहायक नदी है, जो कि कानपुर देहात में गंगा में मिल जाती है।
याचिका में ये मांगें रखीं
न्यायाधिकरण से प्रार्थना की कि ईशन नदी के बाढ़ग्रस्त क्षेत्र का निर्धारण कर अवैध निर्माण हटाया जाए। नदी में गिरने वाले सभी नालों को बंद किया जाए। ईशन नदी के संपूर्ण क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र व रोहतम झील का संरक्षण किया जाए। न्यायाधिकरण ने सुनवाई करते हुए सभी विपक्षीगणों को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। सभी विपक्षीगणों को अपना जवाब 17 जुलाई को दाखिल करने आदेश जारी किया।
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