img-fluid

राजघाट बांध के रखरखाव के प्रति यूपी-एमपी की सरकारें अपना रही उदासीन रवैया

August 13, 2022

चंदेरी। राजघाट बांध जो महारानी लक्ष्मीबाई सागर परियोजना (Rajghat Dam which is the Maharani Laxmibai Sagar Project) के नाम से जाना जाता है और जो मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश (Madhya Pradesh and Uttar Pradesh) राज्य सरकारों की संयुक्त परियोजना है जिसका शासी निकाय बेतवा नदी परिषद मुख्यालय झांसी है।

 

दरअसल, राजघाट बांध चंदेरी जिला अशोकनगर से 14 किलोमीटर दूर स्थित है जो कि मध्य प्रदेश के अशोकनगर और यूपी ललितपुर सीमा पर बने राजघाट बांध परियोजना की आधारशिला तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने वर्ष 1971 में रखी थी जो 1999 में बनकर तैयार हुआ और वर्ष 2000 में पहली बार इस बांध को भरा गया। यहां तक कि राजघाट बांध परियोजना के रखरखाव के लिए संसद ने एक्ट पारित करके बेतवा रिवर बोर्ड का गठन भी किया। जिससे कि दोनों प्रदेशों को पचास-पचास प्रतिशत राशि बोर्ड को देनी थी, जिससे इस बांध का बेहतर संचालन हो सके, लेकिन इस बांध की बहुत ही दयनीय स्थिति हो गई है स्थिति इतनी दयनीय है कि बांध की मिट्टी की पारो में इतने बड़े-बड़े गड्ढे हो गए।

 

इस बांध के रखरखाव एवं लोकार्पण तथा सौंदर्यीकरण के लिए बेतवा नदी परिषद द्वारा मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश राज्य सरकारों के लिए 50 करोड़ रुपये की राशि की मांग की गई है जिस पर अभी तक कोई कार्रवाही दोनों राज्य सरकारों द्वारा नहीं की गई है।

 

 

यदि राजघाट बांध की यही दुर्दशा रही तो किसी भी गंभीर हादसे से इनकार नहीं किया जा सकता और कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना इस क्षेत्र में घटित हो सकती है इसलिए दोनों ही राज्य सरकारों से यह आग्रह की राजघाट बांध की अत्यंत दयनीय स्थिति को सुधारने के लिए अविलंब 50 करोड़ की राशि जारी की जाए और इसके रखरखाव इसके लोकार्पण एवं सुंदरीकरण की जो प्रक्रिया वर्षों से लंबित है उसे तत्काल प्रभाव से प्रारंभ की जाए दोनों राज्य के माननीय मुख्यमंत्री जी इस ओर ध्यान देकर अविलंब कार्रवाई किए जाने का आदेश अवश्य जारी करें।



 

उप्र एवं मप्र की सीमाओं को जोड़ने वाला पुल है जर्जर हालत में

राजघाट का पुल जो मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश सीमाओं को जोड़ता है और अशोकनगर जिला एवं ललितपुर जिले के बीच स्थित है इस राजघाट बांध के सामने वाला पुल जगह-जगह से क्षतिग्रस्त है जबरदस्त गड्ढे हो गए हैं उनके गडर दिखने लगे हैं यह पुल कभी भी गंभीर हादसे का शिकार हो सकता है जिससे दोनों राज्यों के बीच आवागमन अवरुद्ध होने की संभावना प्रबल है।

 

इस राजघाट पुल के रखरखाव का जिम्मा बेतवा नदी परिषद पर है और बेतवा नदी परिषद द्वारा जिसका मुख्यालय झांसी में है, 50 करोड़ की राशि बांध के रखरखाव एवं अन्य कार्यों के लिए दोनों राज्य सरकारों से मांगी है जो अभी तक दोनों ही राज्य सरकारों द्वारा जारी नहीं की गई है जिससे बांध की स्थिति और राजघाट पुल की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है।

 

 

Share:

यशवंत सागर तालाब को मप्र की चौथी Ramsar Site का मिला दर्जा

Sat Aug 13 , 2022
इंदौर । पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग (Environment Minister Hardeep Singh Dung) ने इंदौर के यशवंत सागर तालाब को मध्यप्रदेश की चौथी रामसर साइट (Ramsar Site) का दर्जा मिलने पर प्रदेशवासियों को हार्दिक बधाई दी है। डंग ने कहा कि यह ऐतिहासिक उपलब्धि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में पर्यावरण-संरक्षण (Environment protection) के लिए […]
सम्बंधित ख़बरें
खरी-खरी
शुक्रवार का राशिफल
मनोरंजन
अभी-अभी
Archives

©2025 Agnibaan , All Rights Reserved