लखनऊ (Lucknow) । 18वीं लोकसभा (Lok Sabha) के लिए हुए सियासी समर में अगर सपा-बसपा (SP-BSP) और कांग्रेस (Congress) का गठबंधन हो जाता तो शायद न केवल उत्तर प्रदेश में सियासी तस्वीर दूसरी होती बल्कि देश में एनडीए (NDA) के बजाये इंडिया गठबंधन (India Alliance) की सरकार बनने की नौबत आ जाती। बसपा के अलमस्त हाथी ने सियासी समर में हुई कांटे के टक्कर में लोकसभा की 16 सीटों पर सपा-कांग्रेस गठबंधन के मनसूबों को बुरी तरह कुचल दिया है। बसपा के गठबंधन से अलग रहने के कारण चार सीटों पर कांग्रेस व 11 पर सपा और एक सीट पर टीएमसी को नुकसान हुआ। अगर तीनों साथ होते तो संभव है कि तीनों को गठबंधन को नगीना की सीट समेत 60 लोकसभा सीटें हाथ लग जातीं।
बसपा का साथ कर सकता था बड़ा खेल
ये 16 सीटें मिर्जापुर, अमरोहा, अकबरपुर, अलीगढ़, भदोही, बासगांव, बिजनौर, फतेहपुर सीकरी, फर्रुखाबाद, देवरिया, डुमरियागंज, हरदोई, मिश्रिख, फूलपुर, शाहजहांपुर और उन्नाव हैं। इन सीटों पर हार-जीत का अंतर 3150 से लेकर 55 हजार तक रहा है। इन सीटों पर बसपा के प्रत्याशी को हार के अंतर से कहीं ज्यादा 64 हजार से लेकर दो लाख 18 हजार से ज्यादा मत मिले हैं। कहना गलत न होगा कि अगर तीनों के मतों को मिला दें या यूं कहें यूपी में सपा-कांग्रेस व बसपा में गठबंधन होता तो इस गठबंधन को कुल मिला कर 59 सीटें हासिल हो सकती थीं। साथ ही नगीना सीट भी उसके हाथ लगती। कमोबेश मौजूदा मतों की तस्वीर तो कुछ ऐसा ही बयां कर रही है।
कांग्रेस चाहती थी बसपा आए साथ
लोकसभा चुनाव से पहले सपा-कांग्रेस में बसपा को साथ लेने को लेकर खूब मंथन चला। कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व चाहता था कि बसपा को चुनाव में साथ लिया जाए ताकि दलित वोट बैंक को अपने पाले में आसानी से लाया जा सके। अखिलेश यादव इसके लिए तैयार नहीं हुए। उन्हें अपनी रणनीति पर भरोसा था कि ‘पीडीए’ के जरिये वह मजबूती हासिल कर लेंगे, हालांकि उन्होंने रिकार्ड जीत भी हासिल की लेकिन गठबंधन केंद्र में सरकार बनाने से चूक गया। यूपी से अगर लगभग 60 सीटों की भारी भरकम संख्या गठबंधन के पास होती तो केंद्र में सरकार बनाने के नए समीकरण भी उभर सकते थे।
मसलन, अकबरपुर को लें यहां भाजपा के देवेंद्र सिंह भोले को 5 लाख 17 हजार 423 मत हासिल हुए। त्रिकोणीय टक्कर हो गई। सपा-कांग्रेस गठबंधन को 4 लाख 73 हजार 78 मत मिले, जबकि बसपा को 73140 मत मिले। बसपा अगर गठबंधन में होती तो वे 5 लाख 46 हजार 218 मत मिल जाते, जो भाजपा के मतों से कहीं ज्यादा है। इसी तरह मिर्जापुर से अनुप्रिया पटेल महज़ 37810 मतों से जीतें। यहां बसपा को 1 लाख 44 हजार 446 वोट मिले। अगर सपा-कांग्रेस व बसपा का गठबंधन होता तो उनको यहां 5 लाख 78 हजार 267 मत मिल सकते थे,जो अनुप्रिया पटेल को मिले वोटों से कहीं अधिक हैं। इसी तरह अन्य 14 सीटों पर भी ऐसी ही तस्वीर उभर कर सामने आई है। बसपा के हाथी ने गठबंधन को नुकसान पहुंचा दिया है।
सीटें————भाजपा——-सपा——-बसपा—-गठबंधन होता तो कुल मत
शाहजहांपुर—–592718——-537339——91710——629049
उन्नाव——-616133——-580315(कांग्रेस)—72527—–652842
अलीगढ़——501834——-486187——122929—–610116
अकबरपुर—–517423——473078——-73140—–546218
अमरोहा——476506——447863(कांग्रेस)——-164099—-611962
बासगांव——428693——425543(कांग्रेस)—-64750—–490293
भदोही——-459982——415910(टीएमसी)–155053—-570963
बिजनौर—–404493(आरएलडी)–366985——218986—-585971
फूलपुर——452600—–448268——–82586——530854
मिश्रिख—–475016——–441610——-111945—–553555
फतेहपुर सीकरी–445657—–402252(कांग्रेस)—120539—-522791
मिर्जापुर——471631——433821——-144446—-578267
हरदोई——-486798——458942——-122629—-581571
डुमरियागंज—-463303——420575——-81305—–501880
देवरिया——504541——366985——-218986—–585971
फर्रुखाबाद—–487963—-485285——45390——-530675
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