कन्नौज। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कन्नौज रेलवे स्टेशन (Kannauj Railway Station) पर शनिवार दोपहर ढाई बजे तेज धमाके के साथ निर्माणाधीन भवन का लिंटर ढह (Linter collapse Under construction building) गया। हादसे में करीब 24 मजदूर मलबे में दबकर घायल हो गए थे। इन सभी को स्थानीय प्रशासन और रेलवे के अधिकारियों-कर्मचारियों द्वारा निकाल लिया गया है। मौके पर राहत और बचाव का काम पूरा कर लिया गया है। घायलों में से 12 मजदूरों को कन्नौज के मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। इनमें से एक की हालत गंभीर होने पर उसे कानपुर रेफर किया गया है।
वहीं घायल मजदूरों के लिए मुआवजे की राशि का ऐलान किया गया है। सामान्य रूप से घायलों को 50 हजार और गंभीर रूप से घायलों को ढाई लाख रुपए दिए जाएंगे। इसका भुगतान रेल प्रशासन द्वारा किया जा रहा है। इस घटना की जांच के लिए चार वरिष्ठ अधिकारियों की कमेटी गठित की गई है। इस उच्चस्तरीय कमेटी में प्रमुख मुख्य इंजीनियर, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी/ आर.एस.पी., प्रमुख मुख्य संरक्षा अधिकारी और प्रधान मुख्य सुरक्षा आयुक्त शामिल हैं।
उधर, स्थानीय चिकित्सालय के डॉक्टरों के साथ रेलवे के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के नेतृत्व में रेलवे डॉक्टरों की भी एक टीम घायलों के इलाज में जुटी है। रेलवे की ओर से कहा गया है कि घायलों को उचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। वहीं मेडिकल कॉलेज के सीएमएस डॉ.दिलीप सिंह ने बताया कि कन्नौज हादसे में घायल हुए मजदूरों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां से राजू (28) पुत्र मोतीलाल, आकाश (18) पुत्र छंगेलाल, विकास पाल (25) पुत्र रामविलास, कुलदीप (28) पुत्र उमेश, शिवम (24) पुत्र छेदीलाल, राजकुमार (62) पुत्र केदारनाथ, सत्यम (19) पुत्र रामविनोद, राजा(24) पुत्र गोविन्द, आदेश (30) पुत्र इन्द्रपाल, रामलखन (35) व कमलेश (45) पुत्र रामप्रकाश सहित 12 लोगों को मेडिकल कॉलेज लाया गया था। यहां एक की हालत गंभीर होने पर उसको कानपुर रेफर कर दिया गया है। शेष घायलों का इलाज इमरजेंसी वार्ड में चल रहा है।
अलग-अलग दावों के बीच हादसे की वजह जानने में जुटी टीम
अमृत योजना के तहत कन्नौज रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर निर्माणाधीन बिल्डिंग का लेंटर धराशाही होने को लेकर प्रशासन घटना के बाद दिमागी कसरत रहा। हलांकि प्रशासनिक अधिकारी भी इस घटना को लेकर अलग-अलग तरह के दावों को करते रहे, लेकिन कोई अब तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सके हैं। वहीं हादसों के कारणों का पता लगाने में टीम जुट गई।
उधर, प्रत्यक्षदर्शी लगाई गई शटरिंग में लोहा और लकड़ी की बल्ली मिक्स लगाए जाने को लेकर जिम्मेदार ठहराते रहे। घटना के बाद हर किसी के अलग तरह के तर्क रहे। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि ठेकेदार की ओर से इतनी ऊंचाई पर ढलाई के लिए जो मजबूती प्रदान करनी चाहिए थी, वह नहीं की गई। शटरिंग में लकड़ी व लोहे की मिक्स लगाई गई। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए था। कुछ लोगों का यह भी तर्क था कि हादसे का कारण ढलाई के लिए तीसरी मंजिल पर वाइब्रेटर मशीन चलाई जा रही थी। वाइब्रेटर मशीन चलाए जाने के दौरान जो वाइब्रेसन हुआ, उससे कोई बल्ली खिसक गई और उसकी वजह से अन्य बल्लियां भी खिसकती चली गईं, जिस कारण यह बड़ा हादसा हो गया। शटरिंग लगाए जाने में घोर लापरवाही बरती गई है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि शटरिंग और जाल कमजोर होने के कारण यह मैटेरियल का वजन नहीं झेल सका और ढ़ह गया। डीएम शुभ्रांत शुक्ल ने बताया कि रेलवे स्टेशन पर बड़ा हादसा हुआ है।
हादसों के कारणों का पता लगाए जाने का प्रयास किया जा रहा है। रेलवे विभाग ने उच्चस्तरीय समिति का गठन कर दिया गया, जो कि हादसे के मूल कारणों का पता लगाए जाने की कोशिश की करेगी, और इसमें लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। शुरुआती दौर में बल्ली का स्टेक्चर खिसकना मूल कारण माना जा रहा है।
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