लखनऊ। महराजगंज (maharajganj) में मूर्ति विसर्जन (Immersion of idol) के दौरान हिंसा के बाद जारी ध्वस्तीकरण नोटिसों को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट (allahabad high court) की लखनऊ पीठ में सुनवाई होगी। न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने एसोसिएशन फार प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स संस्था की जनहित याचिका पर बीते बुधवार को सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से कई बिंदुओं पर जवाब दाखिल करने का मौखिक आदेश दिया था। राज्य सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जवाब सोमवार को पेश किया जाएगा।
बीनी सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से मौखिक रूप से पूछा था कि क्या नोटिस जारी करने से पहले वहां कोई सर्वे किया गया था या नहीं? क्या जिन्हें नोटिस जारी हुआ वे लोग निर्मित परिसरों के स्वामी हैं या नहीं? नोटिस जारीकर्ता प्राधिकारी इन्हें जारी करने को सक्षम था या नहीं। इन बिंदुओं के अलावा कोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा है कि महराजगंज बाजार की जिस सड़क पर बने निर्माणों को ढहाने का नोटिस जारी हुहा, क्या पूरा निर्माण या उसका कोई हिस्सा अवैध निर्माण था या नहीं? सुनवाई के दौरान कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी की थी कि फिलहाल राज्य सरकार ऐसी कोई कार्रवाई न करे जो कानून सम्मत न हो।
याचिका में महराजगंज बाजार के कथित अतिक्रमणकारियों को बीते 17 अक्तूबर को जारी ध्वस्तीकरण नोटिसों को चुनौती देकर रद्द करने के निर्देश देने का आग्रह किया गया है। महराजगंज में 13 अक्तूबर को हिंसा के बाद रामगोपाल मिश्रा की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद कथित अतिक्रमणकारियों के निर्माणों को ढहाने का नोटिस जारी कर दिया गया।
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