लखनऊ. लोकसभा चुनाव (Loksabha elections) खत्म हो गए, लेकिन चुनावी नतीजों ने बीजेपी (BJP) को ऐसा जख्म दिया है जिसे भरने में लंबा वक्त लग जाएगा. वहीं अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को बीजेपी पर जीत का स्वाद चखने में 12 साल और 4 चुनाव लग गए. इस जीत के साथ अखिलेश और उनका गठबंधन बेहद उत्साहित है, ऐसे में 10 विधानसभा सीटों (10 assembly seats) पर होने वाले उपचुनाव (by-elections) बीजेपी और इंडिया ब्लॉक दोनों के लिए बेहद अहम हो गए हैं.
हालांकि, अभी उपचुनाव की तारीख नहीं आई है, लेकिन दोनों गठबंधनों ने चुनाव के लिए अपनी कमर कसनी शुरू कर दी है. बीजेपी के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष हार की समीक्षा के साथ-साथ इन 10 सीटों की तैयारियों का जायजा लेने लखनऊ पहुंचे हैं, तो संसद का सत्र खत्म होते ही अखिलेश यादव लखनऊ में इन चुनाव के लिए अपने दफ्तर में जम गए हैं और उपचुनाव में सीटों और कैंडिडेट को लेकर अपने संगठन और नेताओं से फीडबैक लेना शुरू कर दिया है.
वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए इन 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में जीत उनके सियासी भविष्य के लिए बेहद जरूरी है, क्योंकि अगर इन सीटों पर बीजेपी चुनाव हार जाती है तो फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर सवाल उठने शुरू हो जाएंगे. वहीं, अखिलेश यादव अपने लोकसभा की जीत के मोमेंटम को इस उपचुनाव में भी बनाए रखना चाहेंगे, क्योंकि 2027 में उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव उनके लिए जीवन-मरण का चुनाव होने वाला है. 2024 के लोकसभा चुनाव में 80 लोकसभा सीटों की ज्यादातर विधानसभा सीटों पर सपा और कांग्रेस गठबंधन ने जीत दर्ज की है.
सीएम योगी ने उपचुनाव की कमान अपने हाथ में ले ली है, दरअसल योगी आदित्यनाथ को मालूम है कि अगर इन उपचुनावों में पार्टी की हार होती है तो फिर हार का ठीकरा उनके सिर पर फोड़ा जाएगा. ऐसे में आगे के हालात को भांपते हुए सीएम योगी ने उपचुनाव में उम्मीदवारों के चयन से लेकर चुनाव प्रबंधन और चुनावी रणनीति की एक समानांतर प्रक्रिया शुरू कर दी है.
इन सीटों पर होना है उपचुनाव
करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, गाजियाबाद, खैर मीरापुर, फूलपुर, मझवा और सीसामऊ सीटों पर उपचुनाव होना है.
15 मंत्रियों को दी प्रत्याशी चयन की जिम्मेदारी
मुख्यमंत्री ने अपने 15 मंत्रियों को बुलाकर 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए प्रत्याशी चयन को लेकर एक टीम बना दी है. इसमें दो-दो मंत्रियों को सभी 10 विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रत्याशी चयन और जमीनी हालात की रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री को देने के लिए कहा गया है. ऐसा लगता है कि इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन उपचुनाव में प्रत्याशी चयन पर सीधा हस्तक्षेप करने के मूड में है. अमूमन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रत्याशी चयन से खुद को दूर रखते हैं, लेकिन यह चुनाव उनके उनके इकबाल को तय करेगा, इसलिए सीएम योगी इस चुनाव में अपनी ताकत झोंकने के पहले प्रत्याशियों को लेकर बेहद संजीदा दिखाई दे रहे हैं.
ऐसी सीटें जहां बीजेपी के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं
करहल- करहल से अखिलेश यादव विधायक थे, अब कन्नौज से सांसद हैं. अखिलेश यादव अपने भतीजे तेजप्रताप को लड़ाने की तैयारी में हैं.
मिल्कीपुर- अयोध्या की मिल्कीपुर विधानसभा ऐसी सीट है, जहां 9 बार से अवधेश प्रसाद विधायक रहे हैं. और इस बार सांसद बने हैं. समाजवादी पार्टी उनके बेटे अजीत प्रसाद को चुनाव लड़ा सकती है और यह सीट बीजेपी के लिए मुश्किल सीटों में से एक हो सकती है.
सीसामऊ- कानपुर की सीसामऊ सीट समाजवादी पार्टी के विधायक इरफान सोलंकी के सज़ायाफ्ता होने से खाली हुई है, यह समाजवादी पार्टी की मजबूत सीटों में से एक है, जहां इस बार सपा इरफान सोलंकी के परिवार से किसी को टिकट दे सकती है. वहीं, इरफान के साथ लोगों की सहानुभूति भी दिखाई देती है, ऐसे में यह सीट बीजेपी के लिए मुश्किल सीटों में से एक है.
कुनर्की- मुरादाबाद की कुंदरकी सीट संभल लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है, लेकिन मुस्लिम बहुल होने की वजह से यह सीट समाजवादी पार्टी की गढ़ मानी जाती है. जियाउर रहमान वर्क यहां से विधायक थे, जो इस बार संभल की सीट से सांसदी जीतकर आए हैं. ऐसे में 60 फीसदी मुस्लिम बाहुल्य वाली इस सीट पर भाजपा के लिए जीतना बेहद मुश्किल है.
कटहरी- कटहरी अंबेडकर नगर की सीट है, जहां से समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और विधायक लालजी वर्मा विधायक थे और इस बार अंबेडकर नगर से सपा के सांसद बन गए. पिछले चुनाव में सपा में आने से पहले लालजी वर्मा बसपा के बड़े नेताओं में रह चुके हैं. अब लालजी वर्मा अपनी बेटी छाया वर्मा को यहां से चुनाव लड़ाना चाहते हैं और ये सीट भी बीजेपी के लिए मुश्किल सीटों में से एक है.
मीरापुर- मुजफ्फरनगर की मीरापुर जीतना भी बीजेपी के लिए आसान नहीं है. 2022 में आरएलडी, सपा गठबंधन ने यह सीट जीती थी, चंदन चौहान जो सपा और आरएलडी के गठबंधन में जीतकर विधायक बने थे, इस बार बीजेपी-आरएलडी गठबंधन से बिजनौर से सांसद हो गए हैं, लेकिन यह सीट मुस्लिम बहुल होने की वजह से बीजेपी के लिए आसान नहीं है.
फूलपुर- फूलपुर विधानसभा से 2022 में बीजेपी जीती थी, जहां से प्रवीण पटेल विधायक निर्वाचित हुए थे, लेकिन इस बार भाजपा ने प्रवीण पटेल को फूलपुर से सांसदी तो जिता ली, लेकिन प्रवीण पटेल फूलपुर की विधानसभा से हार गए.
कांग्रेस भी कर रही चुनाव लड़ने का दावा
पिछले चुनाव में सपा ने करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी और कुंदरकी सीतामऊ की सीट पर जीत का परचम लहराया था, जबकि बीजेपी का गाजियाबाद, खैर, फूलपुर पर कब्जा है. वहीं मझवा सीट निषाद पार्टी और मीरापुर सीट रालोद ने जीती थी. हालांकि इस बार कांग्रेस भी 2 से 3 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर रही है.
ये विधायक बने सांसद, खाली सीटों पर होंगे उपचुनाव
– फूलपुर के भाजपा विधायक प्रवीण पटेल ने फूलपुर लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की है.
– अलीगढ़ की खैर सीट से भाजपा विधायक और प्रदेश सरकार के मंत्री अनूप प्रधान वाल्मीकि ने हाथरस लोकसभा सीट से चुनाव जीता है.
– गाजियाबाद से भाजपा विधायक डॉ. अतुल गर्ग ने गाजियाबाद लोकसभा सीट जीती है.
– मझवां से निषाद पार्टी के विधायक डॉ. विनोद कुमार बिंद ने भाजपा के टिकट से भदोही लोकसभा सीट जीती है.
– मीरापुर के रालोद के विधायक चंदन चौहान बिजनौर से सांसद बन गए हैं.
– मिल्कीपुर से समाजवादी पार्टी के विधायक अवधेश प्रसाद फैजाबाद सीट से सांसद बने हैं.
– करहल के विधायक और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव कन्नौज से लोकसभा चुनाव जीते हैं.
– कटेहरी से सपा विधायक लालजी वर्मा ने अंबेडकर नगर से लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की है.
– कुंदरकी के विधायक जियाउर्रहमान बर्क ने संभल से लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर ली है.
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