संभल । संभल (Sambhal) में मस्जिद के सर्वे (Mosque Survey) के दौरान हुई हिंसा (violence) से शुरू हुआ बवाल अब चार दशकों से बंद पड़े एक मंदिर (Temple) और 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों तक पहुंच गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) ने सोमवार को यूपी विधानसभा में संभल दंगे का काला अध्याय सुनाया. उन्होंने संभल के अल्पसंख्यक हिंदुओं के अतीत का जिक्र किया, वहां मिले उस मंदिर का इतिहास बताया जो वर्षों से बंद पड़ा था. संभल में मिले मंदिर के परिसर से कई और मूर्तियां मिली हैं, जिनमें बजरंगबली, नंदी, गणेश की मूर्तियां शामिल हैं. स्वास्तिक के चिन्ह वाली ईंटें और कार्तिकेय की खंडित मूर्ति भी मिली है.
हिंदू पक्ष का दावा है कि इस मंदिर में साल 1978 के दंगों के बाद से ताला लगा था. अब चार दशकों के बाद मंदिर का ताला खुला है. मंदिर में विधि-विधान के साथ पूजा-पाठ शुरू है, मंदिर के पास स्थित कुंए से अवैध अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई जारी है. आखिर 1978 में संभल में क्या हुआ था? मीडिया ने ग्राउंड जीरो से एक रिपोर्ट तैयार की है. दावा है कि 1978 में हुए दंगों के बाद ही हिंदुओं का संभल से पलायन शुरू हुआ, लिहाजा डर और दहशत के चलते उन्हें अपने प्राचीन मंदिर पर ताला लगाकर जाना पड़ा था.
कई दशकों के बाद जब मंदिर खुला तो इलाके से पलायन कर चुके तमाम हिंदू यहां दर्शन के पहुंच रहे हैं. उन्होंने आज तक से बातचीत में बताया कि 1978 दंगों ने संभल की आबो हवा में नफरत का जहर घोल दिया. ऐसे में डर के चलते इलाके से हिंदुओं का पलायन शुरू हो गय. जहां मंदिर मिला है, एक जमाने में वहां 45 से ज्यादा हिंदू परिवार रहते थे, लेकिन धीरे-धीरे सब अपने घर बेचकर वहां से दूसरी जगह चल गए. संभल के मोहल्ला दीपा सराय से सटे खग्गू सराय को लेकर भी ऐसी ही आपबीती पलायन करने वालों ने आज तक से सुनाई. उन्होंने बताया कि 1978 के दंगों के बाद संभल हिंदुओं के लिए महफूज नहीं रहा.
29 मार्च, 1978 की तारीख सुन आज भी सिहर उठते हैं संभल के हिंदू
पलायन कर चुके हिंदुओं का दावा है कि संभल नगरपालिका में कभी 45 फीसदी हिंदू रहते थे, लेकिन हालात ऐसे बदले की अब सिर्फ 10 प्रतिशत बचे हैं. हिंदू पलायन का दावा कर रहे हैं, लेकिन सरकारी आकड़े क्या कह रहे हैं? संभल के डीएम और एसपी ने आज तक के कैमरे पर बताया कि संभल नगरपालिका में देश की आजादी के वक्त हिंदुओं की आबादी 45 प्रतिशत थी, जो अब 15 से 20 प्रतिशत है. आकड़े यही बताते हैं कि संभल नगरपालिका में हिंदुओं की आबादी घटी है. 29 मार्च, 1978 वही स्याह तारीख है, जिसने संभल में भाईचारे की डोर को नफरत की कैंची से कांट दिया. आज भी संभल के हिंदू 29 मार्च, 1978 की तारीख सुनकर सिहर उठते हैं.
हालांकि, स्थानीय मुस्लिमों की मानें तो हिंदुओं के पलायन की वजह दहशत नहीं है बल्कि वे अपनी मर्जी से यहां से चले गए. वहीं हिंदुओं का दावा है कि संभल में सांप्रदायिक दंगों का इतिहास रहा है. 1947 से अब तक संभल में 16 सांप्रदायिक दंगे हुए हैं, जिसमें 213 लोगों की मौत हुई. मरने वालों में 209 हिंदू और 4 मुस्लिम शामिल हैं. दंगों की हिस्ट्री देखें तो 1947 में एक की मौत हुई, 1948 में 6 लोगों की मृत्यु हुई. 1958 और 1976 के दंगों में 7 लोगों की मौत हुई. 1978 में दंगा हुआ जिसमें 184 लोग मारे गए. 1980 में दंगा हुआ जिसमें एक की मौत हुई. 1982 में, 1986 में, 1992 में, 1995 में, और 2019 में संभल में दंगे हुए और कई लोग मारे गए.
घड़ियाली आंसू बहाने वालों को संभल के हिंदू नहीं दिखते: CM योगी
समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अदालत के आदेश पर संभल के शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के विरोध में हुई हिंसा और इसी तरह की अन्य घटनाओं पर यूपी विधानसभा में चर्चा की मांग की थी. इस मुद्दे पर बोलते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को विपक्ष पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, ‘संभल में 1947 से लगातार दंगे हुए हैं. 1947 में एक व्यक्ति की मौत हुई और 1948 में छह लोगों की मौत हुई. 1958-1962 तक दंगे हुए और 1976 में पांच लोग मारे गए. 1978 में 184 हिंदुओं को सामूहिक रूप से जला दिया गया था. कई महीनों तक लगातार कर्फ्यू लगा रहा. 1980-1982 में दंगे हुए और 1986 में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई. 1990-1992 में चार लोग मारे गए और 1996 में दो लोग मारे गए. दंगों का यह दौर जारी रहा. 1947 से अब तक संभल में 209 हिंदू मारे गए हैं, लेकिन घड़ियाली आंसू बहाने वालों ने निर्दोष हिंदुओं के बारे में एक शब्द भी नहीं कहा.’
उत्तर प्रदेश में 2017 के बाद से सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ: CM योगी
उत्तर प्रदेश में सांप्रदायिक तनाव बढ़ने के विपक्ष के आरोप को खारिज करते हुए उन्होंने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों का हवाला दिया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, 2017 के बाद से राज्य में सांप्रदायिक दंगों में 97 प्रतिशत से 99 प्रतिशत की कमी आई है. उन्होंने कहा, ‘2017 के बाद से यूपी में कोई दंगा नहीं हुआ है, जबकि 2012 से 2017 (सपा कार्यकाल) तक राज्य में 815 सांप्रदायिक दंगे हुए और 192 लोग मारे गए. 2007 और 2011 के बीच, 616 सांप्रदायिक घटनाएं हुईं, जिनमें 121 लोग मारे गए. आप कब तक तथ्यों को छिपाकर जनता को गुमराह करेंगे?’
संभल में पथराव व आगजनी करने वालों को नहीं बख्शेंगे: CM योगी
यूपी विधानसभा में 1978 के संभल दंगों का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कारोबारी की निर्मम हत्या की कहानी भी बयां की, जो लोगों की आर्थिक मदद करते थे. उन्होंने कहा, ‘दंगों के दौरान, हिंदुओं ने उस कारोबारी के घर में शरण मांगी, लेकिन उन्हें घेर लिया गया… पहले उनके हाथ काटे गए, फिर उनके पैर और गले काटे गए. और फिर भी, ये लोग सद्भाव की बात करने का साहस कर रहे हैं. बजरंगबली का मंदिर, जो अब दोबारा खोला गया है, इन्हीं लोगों के विरोध के कारण 1978 से बंद रखा गया था. 22 कुएं किसने बंद किए? संभल में तनावपूर्ण माहौल किसने बनाया? ये वही लोग हैं, जिन्होंने अदालत के आदेश पर मस्जिद के सर्वे के दौरान पथराव किया होगा, शांति भंग की और माहौल खराब किया. इनमें से एक को भी बख्शा नहीं जाएगा.’
संभल में भारतीय और विदेशी मुसलमानों के बीच वर्चस्व जंग चल रही
हाल ही में हुए उपचुनावों में मुरादाबाद जिले की कुंदरकी विधानसभा सीट समेत नौ में से सात सीटों पर भाजपा नीत गठबंधन की जीत की चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, ‘कुंदरकी के नतीजे को वोटों की डकैती बताना वहां की जनता और उनके द्वारा चुने गए विधायक का अपमान है. इस सीट पर सपा उम्मीदवार को अपनी जमानत जब्त करानी पड़ी. आज डिजिटल मीडिया का समय है. संभल के पठान और शेख कह रहे हैं कि हमारे पूर्वज हिंदू थे. यह भारतीय और विदेशी मुसलमानों के बीच वर्चस्व को लेकर चल रही झड़प है.’
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