आगरा (Agra)। यूपी (UP) के आगरा (Agra) में एक शख्स ने बीमा के रुपए हड़पने (Grabbing insurance money) के लिए खौफनाक साजिश रची। इस साजिश के तहत 18 साल पहले एक भिखारी को कार में जिंदा जला (Beggar burnt alive in car) दिया गया था। रोंगटे खड़े कर देने वाले इस सनसनीखेज हत्याकांड में रकाबगंज पुलिस (Rakabganj Police) ने अब एक साजिशकर्ता को गिरफ्तार किया है। मुख्य आरोपित को नवंबर 2023 में अहमदाबाद (गुजरात) क्राइम ब्रांच (Ahmedabad (Gujarat) Crime Branch) ने पकड़कर जेल भेज दिया था। मुकदमा आगरा ट्रांसफर होकर आया था।
30 जुलाई 2006 को आगरा किला के सामने टक्कर रोड पर एक कार खंभे से टकराई थी। कार में भीषण आग लगी थी। ड्राइविंग सीट पर बैठा युवक जिंदा जल गया था। कार नंबर के आधार पर पुलिस ने भट्टा परसौल, दनकौर गौतमबुद्ध नगर निवासी विजय सिंह से संपर्क किया था। वह आगरा आए थे। कार अपने बेटे अनिल सिंह की बताई थी। शव की पहचान की थी। शव की पहचान में महिपाल और रामवीर ने गवाही दी थी। अनिल सिंह ट्रैवल एजेंसी चलाता था। उसका करीब 60 लाख रुपये का बीमा था। मृत्यु प्रमाण पत्र बनने के बाद बीमा राशि ली गई थी।
अनिल सिंह वास्तव में मरा नहीं था। वह अहमदाबाद में रहने लगा था। अपना नाम बदल लिया था। राजकुमार चौधरी नाम से आधार कार्ड बनवा लिया था। गोपनीय शिकायत पुलिस ने अनिल सिंह को जिंदा पकड़ा था। उसके खिलाफ अहमदाबाद में धोखाधड़ी और हत्या की धारा के तहत मुकदमा दर्ज किया था। डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि रकाबगंज थाने में मुकदमा पंजीकृत कराया गया। साजिश में अनिल सिंह के पिता विजय सिंह, चाचा अभय सिंह, रामवीर शामिल थे। विजय सिंह और अभय सिंह ने हाईकोर्ट से स्टे ले रखा है। पुलिस ने रामवीर सिंह को गिरफ्तार करके जेल भेजा है।
बीमा कंपनी से लिए थे 56 लाख रुपये
इंस्पेक्टर रकाबगंज शैली राणा ने बताया कि अनिल सिंह को मृत दर्शाकर उसके पिता ने बीमा कंपनी से 56 लाख रुपये से अधिक का भुगतान लिया था। पुलिस के अनुसार अनिल और उसके साथियों ने फुटपाथ से एक भिखारी को खाना खाने के बहाने पास बुलाया था। उसे खाना खिलाया। अनिल ने अपने कपड़े पहनने के लिए दिए। उसने अनिल के कपड़े पहन लिए। खाने में बेहोशी की दवा थी। भिखारी बेहोश हो गया। उसे कार की ड्राइविंग सीट पर बैठाया। कार को जला दिया गया।
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