न्यूयॉर्क । विदेश मंत्री एस जयशंकर (External Affairs Minister S Jaishankar) ने गुरुवार को चीन (China) द्वारा जैश-ए-मोहम्मद (Jaish-e-Mohammed) के सबसे खूंखार आतंकवादी (Terrorist) को काली सूची में डालने पर परोक्ष रूप से कटाक्ष किया और कहा कि कुछ देशों ने “जब दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादियों में से कुछ को प्रतिबंधित करने की बात आती है, तो वह उन्हें दंड से मुक्ति देने की सुविधा में जुट जाते हैं.
जानकारी के मुताबिक यूक्रेन पर UNSC की ब्रीफिंग में बोलते हुए मंत्री ने कहा कि जवाबदेही से बचने के लिए राजनीति को कभी भी कवर नहीं देना चाहिए. अफसोस की बात है, हमने यहां देखा है जब दुनिया के कुछ सबसे खूंखार आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने की बात सामने आती है तो वह उन्हें दंड से मुक्ति देने की सुविधा में जुट जाते हैं. उन्होंने कहा, “इस परिषद को उन संकेतों पर विचार करना चाहिए. अगर हमें विश्वसनीयता सुनिश्चित करनी है तो निरंतरता होनी चाहिए.”
मंत्री ने कहा कि शांति और न्याय हासिल करने के व्यापक प्रयास के लिए दण्ड से मुक्ति के खिलाफ लड़ाई महत्वपूर्ण है. “सुरक्षा परिषद को इस मामले में एक स्पष्ट संदेश भेजना चाहिए.” उन्होंने कहा, “यह परिषद कूटनीति का सबसे शक्तिशाली प्रतीक है. इसे अपने उद्देश्य पर खरा उतरते रहना चाहिए.”
बैठक में चीन को लताड़ लगाने के बाद विदेश मंत्री ने कहा कि रूस-यूक्रेन जंग के चलते दुनिया ने खाद्य पदार्थों और ईंधन की कमी को महसूस किया है. मंत्री ने कहा कि यूक्रेन में संघर्ष को समाप्त करना और बातचीत की मेज पर लौटना समय की मांग है. उन्होंने कहा, “यह परिषद कूटनीति का सबसे शक्तिशाली प्रतीक है. इसे अपने उद्देश्य पर खरा उतरते रहना चाहिए.” जयशंकर ने एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान व्लादिमीर पुतिन के साथ बैठक के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को भी दोहराया कहा कि यह युद्ध का युग नहीं है.
भारत, अन्य सदस्यों के साथ परिषद के एक अस्थायी सदस्य ने गुरुवार की बैठक में भाग लिया. बैठक में परिषद का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री कर रहे थे. अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और यूक्रेन के दिमित्रो कुलेबा के बीच यह पहली सीधी मुठभेड़ थी, यह सभी बैठक में शामिल हुए थे.
जयशंकर ने कहा कि शांति और न्याय हासिल करने के व्यापक प्रयास के लिए दण्ड से मुक्ति के खिलाफ लड़ाई महत्वपूर्ण है. “सुरक्षा परिषद को इस मामले में एक स्पष्ट संदेश भेजना चाहिए.” उन्होंने कहा, “यह परिषद कूटनीति का सबसे शक्तिशाली प्रतीक है. इसे अपने उद्देश्य पर खरा उतरते रहना चाहिए.”
बता दें कि चीन ने इस महीने की शुरुआत में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के आतंकवादी साजिद मीर को ब्लैकलिस्ट की सूची में डालने पर रोक-टोक की. यह भारत का मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में से एक है जो 2008 में हुए मुंबई हमले का मास्टरमाइंड भी कहलाता है. यह एक वैश्विक आतंकवादी के रूप में जाना जाता है. बीजिंग बार-बार संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के तहत पाकिस्तान स्थित आतंकवादियों को काली सूची में डालने के लिए सूचीबद्ध करने पर रोक लगाता है. हाल के महीनों में यह तीसरी बार है जब चीन ने भारत-अमेरिका के प्रस्ताव को रोक दिया है. इससे पहले, लश्कर-ए-तैयबा और जमात-उद-दावा (JuD) के नेता अब्दुल रहमान मक्की और जैश-ए मोहम्मद (JEM) के संस्थापक मसूद अजहर के भाई अब्दुल रऊफ अजहर को बीजिंग द्वारा प्रतिबंधों में रोक-टोक लगाई गई थी.
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