नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने देश के सभी विश्वविद्यालयों (Indian Universities) से कहा है कि वे भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य पर आजादी का अमृत महोत्सव (AKAM) समारोह के तहत अपनी शिक्षण सामग्री और साहित्य का सभी भारतीय भाषाओं (Indian Languages) में अनुवाद करें.
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के सचिव रजनीश जैन ने 2 नवंबर को लिखे पत्र में विश्वविद्यालयों को 20 नवंबर तक समयसीमा के साथ योजना तैयार करने के लिए कहा है. लिखा गया यह पत्र उस निर्णय का परिणाम है, जो 31 अगस्त को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की अध्यक्षता में एक बैठक के दौरान लिया गया था. इसमें उनके मंत्रालय द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के तहत बनाई जा रही योजना की समीक्षा की गई थी.
एक वरिष्ठ अफसर ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 द्वारा भी इसकी सिफारिश की गई है. केंद्रीय और राज्य विश्वविद्यालयों और निजी विश्वविद्यालयों सहित सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों को लिखे गए रजनीश जैन के पत्र में उन्हें एक योजना और समय सीमा के साथ 20 नवंबर तक इसे आयोग को भेजने के लिए कहा गया है.
पत्र में कहा गया है कि जैसा कि आप जानते हैं राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 भी विभिन्न भारतीय भाषाओं में उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षण सामग्री और अन्य महत्वपूर्ण लिखित और बोली जाने वाली सामग्री को लोगों के लिए उपलब्ध कराने के लिए अनुवाद और व्याख्या प्रयासों के विस्तार पर जोर देती है. इस तरह की गतिविधि छात्रों और शिक्षकों को भारत की एकता और सुंदर सांस्कृतिक विरासत और विविधता दोनों की भावना देगी.
कई विश्वविद्यालयों के अधिकारियों ने कहा कि वे आने वाले दिनों में इस मामले पर चर्चा करेंगे. दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ अफसर ने कहा कि अंग्रेजी या किसी अन्य भाषा में उपलब्ध प्रत्येक सामग्री का अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद करना एक बड़ा काम होगा. हमें इसकी रणनीतिक योजना बनानी होगी. हम विश्वविद्यालय के अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे और तय करेंगे कि कार्य को कैसे आगे बढ़ाया जाए.
दिल्ली विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने यह भी कहा कि वे अपने सहयोगियों के साथ योजना पर चर्चा करेंगे और एक योजना तैयार करेंगे. जामिया मिलिया इस्लामिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम इस कदम का स्वागत करते हैं, लेकिन हम इसके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के बाद ही योजना बना सकते हैं.
शिक्षा मंत्रालय के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के माध्यम से शिक्षा पर राष्ट्रीय मिशन, केंद्र द्वारा वित्त पोषित पहल, क्षेत्रीय भाषाओं में उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए मौजूदा डिजिटल अध्ययन सामग्री का अनुवाद भी कर रहा है. उन्होंने कहा कि देश भर के छात्रों के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालयों में क्षेत्रीय भाषाओं में पढ़ाना संभव नहीं है. इसलिए सभी स्थानीय या क्षेत्रीय भाषाओं में कम से कम ऑनलाइन रूप में अध्ययन सामग्री उपलब्ध होना बहुत जरूरी है. एनएमईआईसीटी यह काम कर रहा है और इसने प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए उपलब्ध ऑनलाइन अध्ययन सामग्री का लगभग अनुवाद कर दिया है.
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