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इंदौर में आजादी के अमृत महोत्सव की अनूठे रूप से की गई शुरुआत

August 18, 2021

– पाकिस्तान से आए सिंधी समाज के 75 लोगों को दी गई भारत की नागरिकता

इंदौर। इंदौर जिले में मंगलवार को आजादी के 75वें वर्ष (अमृत महोत्सव) की अनूठे रूप से शुरुआत की गई। इस अमृत महोत्सव के अन्तर्गत पाकिस्तान से आये सिंधी समाज के 75 लोगों को आज भारत की नागरिकता दी गई।

इंदौर के माणिकबाग रोड स्थित अमरदास हाल में आयोजित एक गरिमामय समारोह में इन लोगों को भारत की नागरिकता संबंधी प्रमाण पत्र सौंपे गये। इस अवसर पर सांसद शंकर लालवानी, कलेक्टर मनीष सिंह, पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे, पूर्व विधायक जीतू जिराती तथा सुदर्शन गुप्ता, इंदौर विकास प्राधिकरण के पूर्व अध्यक्ष मधु वर्मा, जेकब आबाद जिला सिंधी पंचायत ट्रस्ट इंदौर के अध्यक्ष राजा माँदवानी, गुरूसिंघ सभा के अध्यक्ष रिंकू भाटिया, चन्दू माखीजा विशेष रूप से मौजूद थे। यह कार्यक्रम पूज्य जेकब आबाद जिला सिंधी पंचायत ट्रस्ट इंदौर के सहयोग से आयोजित किया गया।


कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सांसद शंकर लालवानी ने कहा कि नागरिकता दिये जाने के कानून को सरल बनाने की मांग वर्षों से की जा रही थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सिंधी समाज की पीड़ा को समझा और नागरिकता कानून को सरल बनाया। उनके द्वारा नागरिकता के कानून को और अधिक सरल बनाया जा रहा है। नागरिकता के कानून को सरल बनाये जाने से पाकिस्तान से भारत आये सिधियों सहित अन्य अल्पसंख्यकों को सीधा लाभ मिल रहा है। पाकिस्तान की प्रताड़ना से मुक्ति मिल रही है।

कलेक्टर मनीष सिंह ने इस अवसर पर कहा कि इंदौर जिले में पाकिस्तान से भारत आए लोगों को नियमानुसार नागरिकता देने का काम तेज गति से किया जा रहा है। कलेक्टर कार्यालय में नागरिकता संबंधी प्रकरणों के निराकरण के लिए विशेष प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। हमारा प्रयास है कि औपचारिकताओं को पूर्ण कर शेष लोगों को भी शीघ्र नागरिकता दी जाए। नागरिकता मिलने के बाद अन्य दस्तावेजों के बनने में भी मदद की जाएगी। उन्होंने कहा कि हर एक पात्र व्यक्ति को नागरिकता दिलाने के प्रयास सतत जारी रहेंगे।

कार्यक्रम को पूर्व महापौर कृष्णमुरारी मोघे तथा श्री शैलेन्द्र महाजन ने भी सम्बोधित किया। स्वागत भाषण देते हुए जेकब आबाद सिंधी पंचायत ट्रस्ट के अध्यक्ष राजा मांदवानी ने कहा कि नागरिकता संबंधी कानून के सरलीकरण से हमें बेहद लाभ मिल रहा है। इस कानून को सरल बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के हम विशेष रूप से आभारी हैं। इस कानून के सरलीकरण से हमें सहजता के साथ नागरिकता मिल रही है। हम मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के भी आभारी हैं जिन्होंने हमें मध्यप्रदेश में आजादी से रहने का अवसर दिया है। यहां का प्रशासन भी नागरिकता देने के संबंध में विशेष प्रयास कर रहा है। विशेषकर कलेक्टर मनीष सिंह के नेतृत्व में नागरिकता के प्रकरणों को तेजी से निराकृत किया जा रहा है। सांसद शंकर लालवानी भी इस दिशा में विशेष प्रयास कर रहे हैं।

नागरिकता मिलने का मनाया गया जश्न
नागरिकता के प्रमाण पत्र मिलने के साथ ही सिंधी समाज में अपार खुशी देखी गई। कार्यक्रम स्थल पर नागरिकता प्रमाण पत्र मिलने का जश्न मनाया गया। हर एक उपस्थित नागरिक खुशियों से सराबोर थे। उन्होंने भारत माता की जय और आयोलाल झूलेलाल के जयघोष के साथ अपनी खुशी का इजहार किया। उन्होंने बैंड पर प्रस्तुत देशभक्ति से ओतप्रोत स्वर लहरियों के बीच नाच गाकर नागरिकता मिलने का जश्न मनाया। सभी ने एक-दूसरे को बधाइयां दी। शासन-प्रशासन का विशेष रूप से आभार व्यक्त किया।

इतनी जल्दी नागरिकता मिलेगी, सोचा भी नहीं था
आज नागरिकता मिलने से एक युवती अंजली देवी बेहद खुश थी। उसका कहना था कि उम्मीद नहीं थी कि इतनी जल्दी नागरिकता मिलेगी। भारत में हम खुली हवा में सांस ले रहे हैं। पाकिस्तान में हमारा हर पल दम घुटता था। उसने बताया कि वह परिवार सहित पाकिस्तान से 17 साल पहले भारत आयी थी। वहाँ बहुत परेशानी थी। महिलाओं की स्थिति भी ठीक नही थी। भारत में पूर्ण आजादी से रहने का मौका मिल रहा है। यहाँ हमारा बहुत सम्मान है। यहाँ पढ़ाई का अवसर भी मिल रहा है। धन्यवाद प्रधानमंत्री मोदी, मुख्यमंत्री चौहान, सांसद लालवानी तथा कलेक्टर मनीष सिंह।

इसी तरह के विचार मुरलीलाल और सुरेश सचदेव के भी थे। मुरलीलाल ने बताया कि वह पाकिस्तान से अपने परिवार सहित वर्ष 1989 में भारत आये थे। वहाँ वह अनाज का व्यापार करते थे। वहाँ बहुत परेशानी थी। परेशानियों से तंग आकर भारत में आने का निर्णय लिया। अब लग रहा है कि हमारा यह निर्णय बिल्कुल सही रहा। हमने नागरिकता संबंधी आवेदन कई बार दिये। पूर्ववर्ती शासन में उसे निरस्त कर दिये गये। वर्तमान शासन ने हमारी सुनवाई कर हमें नागरिकता दी। हम मुख्यमंत्रीजी के आभारी हैं।

सुरेश सचदेव ने बताया कि वह परिवार सहित वर्ष 2011 में भारत आये थे। वहाँ काफी जमीन-जायदाद थी। परेशानियों के कारण कारोबार और जमीन-जायदाद का त्याग कर भारत आये। हमारी बहुत जल्दी सुनवाई की गई और नागरिकता दी गई। इतनी जल्दी नागरिकता मिल जायेगी, यह सोचा भी नहीं था। हमें जो खुशी हुई है वह शब्दों में बयां नहीं की जा सकती। (एजेंसी, हि.स.)

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