चेन्नई । भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) 1300 साल पुराने कैलासनाथर मंदिर (Kailasanathar Temple), कांचीपुरम (Kanchipuram), तमिलनाडु (Tamil Nadu) के संरक्षण के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास के विशेषज्ञों को शामिल करने की योजना बना रहा है. मंदिर यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की अस्थायी सूची में भी है. एएसआई अधिकारियों के अनुसार, एक विस्तृत सर्वेक्षण किया गया जिसमें पाया गया कि जिस मंदिर का निर्माण 7 वीं आठवीं शताब्दी के अंत में हुआ था, उसके भित्ति चित्र लुप्त हो रहे हैं. इसके अलावा रासायनिक संरक्षण मंदिर की गिरावट को रोक नहीं रहा है.
राजा राजसिम्हा ने बनवाया था शिव मंदिर
भगवान शिव (Lord Shiva) का मंदिर जो वेदवती नदी के तट पर पल्लव राजा राजसिम्हा द्वारा बनाया गया था, जिन्हें नरसिंहवर्मन द्वितीय के नाम से भी जाना जाता है. इसकी वास्तुकला द्रविड़ शैली में है. मंदिर मुख्य रूप से बलुआ पत्थर से बना है और विशेषज्ञों के अनुसार, 685 और 705 ईस्वी के बीच बनाया गया था.
मंदिर पूरी तरह से चूना पत्थर से निर्मित
एएसआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया ‘हम इस प्रमुख विरासत मंदिर को संरक्षित करने के लिए सुझाव और समाधान देने के लिए आईआईटी, मद्रास के विशेषज्ञों को शामिल करने की प्रक्रिया में हैं, जो यूनेस्को की सूची में एक विरासत स्थल के रूप में उच्च स्थान पर है. मंदिर पूरी तरह से चूना पत्थर से निर्मित संरचना है और अब हमें पारंपरिक तरीकों का उपयोग करना होगा ताकि इसे स्थायी रूप से संरक्षित किया जा सके.’
सबसे पुरानी कृतियों में से एक
कांचीपुरम के एक व्यवसायी और मंदिर वास्तुकला पर शोध करने वाले 61 वर्षीय मायलवाहनन ने बताया कि यह मंदिर तमिलनाडु में द्रविड़ वास्तुकला की सबसे पुरानी कृतियों में से एक है और इसने पल्लव और चोल राज्यों में ऐसे कई विशाल मंदिरों के निर्माण को प्रेरित किया है. अध्ययनों के अनुसार पल्लव राजा राजसिम्हा द्वारा निर्मित इस मंदिर को नरसिंहवर्मन द्वितीय भी कहा जाता है, जिसने महान राजा राजा चोल को तंजावुर में बृहदेश्वर मंदिर बनाने के लिए प्रेरित किया.
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