इंदौर,पंकज भारती। कर चोरों पर नजर रखने और उन्हें पकडऩे के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विभाग ने एक नई व्यवस्था पर काम करना प्रारंभ कर दिया है। आने वाले कुछ समय में सभी संदिग्ध सेक्टर, जिनमें कर चोरी की संभावना सबसे ज्यादा रहती है, उस सेक्टर के हर सामान पर जीएसटी विभाग की नजर रहेगी। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि आम बजट 2025-26 में कर चोरी करने वाले उद्योगों, कारोबारियों व संस्थानों के लिए ट्रैक एंड ट्रैस मैकेनिज्म का प्रावधान किया गया है। जीएसटी की धारा 148-ए के तहत लाए गए इस प्रावधान के तहत सबसे पहले लोहे का अवैध कारोबार करने वालों और गुटखा, पान मसाला व तंबाकू से जुड़े उत्पादों का कारोबार कर टैक्स चोरी करने वालों को निशाने पर लेने की योजना है।
गौरतलब है कि इंदौर सहित मप्र में लोहे व सरिया का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर किया जाता है। विभाग द्वारा समय-समय पर इनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है, लेकिन उसके बावजूद यह अवैध कारोबार धड़ल्ले से जारी है। ऐसी ही स्थिति गुटखा, पान मसाला और तंबाकू का कारोबार करने वालों की भी है। इसका भी अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर संचालित किया जा रहा है। अब नए सिस्टम से ऐसे सभी कर चोरों पर नजर रखना और उनकी धरपकड़ करना आसान होगा। टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जेपी सराफ का कहना है कि जैसे ई-वे बिल होता है, उसी तर्ज पर एक नई व्यवस्था को लाया गया है।
इसके तहत सबसे ज्यादा कर चोरी की आशंका वाले गुड्स को नोटिफाइड किया जाएगा। इसके तहत संदिग्ध कमोडिटी में यूनिक आइडेंटिफिकेशन मार्किंग को परिभाषित किया गया है। इसके तहत क्यूआर कोड जैसी डिजिटल स्टाम्पिंग की जाएगी। कस्टम विभाग में इस प्रकार की डिजिटल सील का उपयोग पहले से किया जा रहा है। चूंकि यह नया प्रावधान एक्ट में किया गया है, इसलिए यह नोटिफाइड होने के बाद ही लागू किया जाएगा। नोटिफिकेशन में जिस कमोडिटी का उल्लेख होगा सिर्फ उसी कमोडिटी पर यह नया ट्रैक एंड ट्रैस सिस्टम लागू होगा। वर्तमान में ई-वे बिल के माध्यम से कर चोरों पर नजर रखी जाती है।
पकड़े जाने पर लगेगा एक लाख का जुर्माना
नए सिस्टम में कर चोरी में पकड़े जाने पर एक लाख रुपए या कर की राशि का 10 फीसदी जो अधिक हो, उतनी राशि का जुर्माना लगाने की बात कही गई है। अर्थात् कम से कम एक लाख रुपए का जुर्माना तो निश्चित रूप से लगेगा। सीए नवीन खंडेलवाल के अनुसार नोटिफाइड वस्तुओं पर यूनिक आईडी अंकित करना होगी। इन वस्तुओं के निर्माण में लगी मशीनरी, निर्माण के घंटे आदि की जानकारी करदाता को जीएसटी विभाग को देना होगी। प्रोडक्शन और बिक्री की विस्तृत सूचना और रिटर्न फाइल करना होगा।
ऑटोमैटिक सिस्टम काम करेगा
सीए अभय शर्मा कहते हैं कि यह सब एआई के टूल हैं। यह ऑटोमैटिक सिस्टम काम करेगा। आपको पता ही नहीं चलेगा कि आपकी इंफर्मेशन कहां उपयोग हो रही है। इसमें सूचनाओं को आपस में जोड़ा जाता है। जैसे किसी ने पेमेंट गेटवे से दुकान में पैसे लिए, 40 लाख रुपए का ट्रांजेक्शन हुआ तो एक झटके में विभाग ने कोरिलेटेड कर लिया कि कुछ न कुछ सामान आ रहा है और 40 लाख का ट्रांजेक्शन हुआ है तो संबंधित को रजिस्ट्रेशन करना चाहिए था।
ऐसे खत्म होगा फर्जीवाड़ा
जानकारों के अनुसार वर्तमान में कर चोरी करने वाले एक ही इनवाइस से कई बार उत्पाद भेज देते हैं, लेकिन नई व्यवस्था में ऐसा करना संभव नहीं होगा, क्योंकि जिस यूनिक नंबर से माल बनेगा, उसे रिपीट नहीं किया जा सकेगा। ये यूनिक नंबर हर उत्पाद पर हॉलमार्क के रूप में होगा। वहीं बिल और मशीनों में भी यूनिक नंबर रहेगा, जिससे फर्जी इनवाइस को पकड़ा जा सके।
इंस्पेक्टर राज का खतरा
इस नई व्यवस्था से जहां एक तरफ अधिकारियों द्वारा कर चोरी रोकने की बात कही जा रही है, वहीं दूसरी तरफ कारोबारियों ने इससे इंस्पेक्टर राज की वापसी का अंदेशा जाहिर किया है। जानकारों का कहना है कि नई व्यवस्था से जीएसटी अधिकारियों को असीमित अधिकार मिल जाएंगे। इससे किसी भी इंडस्ट्री या उत्पाद को ट्रैक एंड ट्रैस मैकेनिज्म में रखकर निगरानी के बहाने उत्पीडऩ की आशंका भी बढ़ जाएगी। अब तक जांच के लिए सर्च वारंट की जरूरत होती है, लेकिन इस सेक्शन से बिना सर्च वारंट के ही जांच अधिकार मिल जाएंगे।
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