शिमला । अगर ठान लिया जाए तो असंभव कुछ भी नहीं। हौसले और दृढ़ संकल्प से मंजिल मिल ही जाती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है शिमला (Shimla) जिले की कोटखाई की बखोल पंचायत (Bakhol Panchayat of Kotkhai) के लोगों ने। उन्होंने जल संरक्षण के लिए एक अनूठी पहल की है। पानी की बावड़ियां सूखने लगीं तो पंचायत के ठीक ऊपर कोटी जंगल में लोगों ने मिलकर चार लाख लीटर क्षमता की मानव निर्मित झील बना दी। समुद्र तल से 8000 फीट की ऊंचाई पर झील के बनने से अब सूखी बावड़ियां फिर से पानी से लबालब हो गई हैं। यह झील लोगों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। इन दिनों बच्चे इस झील में बोटिंग का भी आनंद ले रहे हैं। स्थानीय निवासी आत्माराम चौहान और रामलाल चौहान ने 2 साल पहले वन विभाग से अनुमति लेकर कोटी जंगल में झील का निर्माण शुरू किया था। सर्दियों में बर्फबारी न होने के बावजूद यह झील पानी से लबालब भरी हुई है।
करीब 6 फुट गहरी इस झील में बिलासपुर से लाकर मछलियों (Fishes) भी डाली गई हैं। झील बनने के बाद आसपास के सेब बागानों में नमी की समस्या भी खत्म हो गई है। बागवान आत्माराम चौहान और रामलाल चौहान का कहना है कि जल संकट से बचने के लिए लोगों को गावों के आसपास जंगलों में झीलें बनानी चाहिए।
उन्होंने बताया कि उनकी पंचायत में बीते 5 सालों के भीतर अधिकतर प्राकृतिक जल स्रोत सूख गए थे। जल संकट से बचने के लिए कोटी जंगल में झील बनाई गई। झील बनने के बाद बावड़ियों में पानी फूटना शुरू हो गया है।
नाग देवता के भंडारी ने झील में डाली मछलियां
झील को कोई नुकसान न पहुंचाए इसके लिए नाग देवता के भंडारी के हाथों झील में मछलियां डलवाई गई हैं। भंडारी रोशन लाल ने लोगों से अपील की कि झील में देवता की मछलियां हैं इसलिए इसे कोई नुकसान न पहुंचाए। देवता में गहरी आस्था के चलते अब लोग झील के संरक्षण में योगदान दे रहे हैं। झील में मछलियों की संख्या 100 से बढ़कर करीब 2000 हो गई है।
पानी से ऐसे भरी झील
ग्रामीणों ने कोटी जंगल के प्राकृतिक और बारिश के पानी का संरक्षण कर नालियां बनाकर पानी को झील तक पहुंचाया। बखोल पंचायत के अधिकतर गांव पानी के लिए प्राचीन बावड़ियों पर ही निर्भर हैं। बीते पांच सालों में करीब 12 बावड़ियां सूख गई थीं, जिसके बाद झील बनाकर बावड़ियों में फिर से पानी निकालने का प्रयास किया गया है।
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