भारत में साइबर फ्रॉड में आए दिन इजाफा देखने को मिल रहा है। हर दिन किसी-ना-किसी के साथ किसी तरह का ऑनलाइन फ्रॉड (online fraud) हो रहा है। कोई यूपीआई फ्रॉड का शिकार हो रहा है तो किसी को सोशल मीडिया के जरिए चूना लगाया जा रहा है। साइबर फ्रॉड से लोगों को बचाने के लिए सरकार ने काफी पहले साइबर दोस्त नाम से एक प्लेटफॉर्म लॉन्च किया है जो कि ट्विटर पर भी काफी एक्टिव है और अब केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने साइबर धोखाधड़ी से होने वाले वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन 155260 और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है। मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि राष्ट्रीय हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म साइबर धोखाधड़ी का शिकार होने वाले लोगों को इस तरह के मामलों की सूचना देने के लिए एक मंच उपलब्ध कराते हैं जिससे कि खून-पसीने की उनकी कमाई के नुकसान को रोका जा सके।
बयान में सुरक्षित डिजिटल भुगतान प्रणाली (secure digital payment system) उपलब्ध कराने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता पर बल देते हुए कहा गया कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) के नेतृतव में गृह मंत्रालय ने साइबर धोखाधड़ी से होने वाले वित्तीय नुकसान को रोकने के लिए राष्ट्रीय हेल्पलाइन 155260 और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म की शुरुआत की है। संबंधित हेल्पलाइन एक अप्रैल 2021 को सीमित तरीके से शुरू की गई थी।
इसे वर्तमान में 55260 के साथ सात राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (छत्तीसगढ़, दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, उततराखंड और उत्तर प्रदेश) द्वारा किया जा रहा है जिसके दायरे में देश की जनसंख्या का 35 प्रतिशत से अधिक हिस्सा आता है। धोखाधड़ी (Fraud) के कृत्यों में शामिल लोगों द्वारा जनता से ठगी किए जाने पर अंकुश लगाने के लिए इसे पूरे भारत में लागू करने का काम जारी है। बयान में कहा गया कि सीमित स्तर पर शुरुआत के बाद दो महीने की छोटी अवधि में ही हेल्पलाइन 155260 से फर्जीवाड़े की 1.85 करोड़ रुपये की रकम जालसाजों के हाथों में जाने से रोकने में मदद मिली है।
हेल्पलाइन और रिपोर्टिंग प्लेटफॉर्म से सभी बड़े सरकारी और निजी बैंक जुड़े हैं जिनमें भारतीय स्टेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक (Punjab National Bank), बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, येस बैंक और कोटक महिन्द्रा बैंक आदि शामिल हैं।इसमें पेटीएम, फोनपे, मोबिकविक, फ्लिपकार्ट और अमेजन जैसे भुगतान और वॉलेट मंच भी शामिल हैं।
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