नई दिल्ली (New Delhi)। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) मोदी सरकार (Modi government) के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट (Union Budget 2023) पेश करेंगी. ग्लोबल आर्थिक मंदी की आशंका (Fear of global economic recession) के बीच सरकार के लिए ये बजट काफी चुनौतीपूर्ण होने वाला है. क्योंकि एक तरफ जहां देश का हर वर्ग बजट से उम्मीदें लगाए बैठा है. वहीं, दूसरी तरफ सरकार के लिए राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करना चुनौतीपूर्ण रहने वाला है. पिछले बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने राजकोषीय घाटा जीडीपी का अनुमान 6.4 फीसदी रखा था।
सरकार का खर्च बढ़ा है
मौजूदा वित्त वर्ष में सरकार का खर्च बढ़ा है. विनिवेश के मोर्चे पर जीवन बीमा निगम (LIC) के अलावा कोई और बड़ी सफलता सरकार के हाथ नहीं लगी है. ऐसे में सरकार के लिए 6.4 फीसदी का राजकोषीय घाटा लक्ष्य को हासिल करना चुनौतीपूर्ण रहेगा. इसलिए सरकार खर्च को लेकर अपने मुट्ठी अधिक खोलने की स्थिति में नजर नहीं आ रही है. लेकिन अगले साल आम चुनाव होने हैं. इसलिए माना जा रहा है कि सरकार एक फरवरी को लोकलुभावन बजट पेश कर सकती है. लेकिन सरकार को अपने हर बड़े ऐलान से पहले मंदी की आशंका को ध्यान में रखना होगा।
खर्च को भी काबू में करने की कोशिश
सरकार ने 2023 में भी 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मुहैया कराने का ऐलान किया है. इससे सरकार के खजाने पर अतिरिक्त बोझ बढ़ा है. बजट-2023 में बढ़ती खाद्य, उर्वरक सब्सिडी के साथ मनरेगा पर बढ़े हुए खर्च को भी काबू में लाने के लिए सरकार प्रयासरत होगी. ऐसे में हो सकता है कि सरकार मनरेगा के फंड में कटौती कर दे. क्योंकि कोविड महामारी के बाद से ही सरकार देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर वापस लाने की कोशिश में जुटी है. लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते पैदा हुए वैश्विक हालातों ने सरकारी खजाने पर और बोझ बढ़ा दिया है।
लेने होंगे सख्त फैसले
मंदी के इस दौर में इस बात पर भी सभी की नजरें रहेंगी कि सरकार पूंजीगत खर्च या कैपिटल एक्सपेंडिचर को लेकर किस तरह के कदम उठाती है. अगर सरकार देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मजबूत बनाना चाहती है, तो उसे सख्त फैसले लेने होंगे. उसे लोकलुभावन बजट से बचना होगा. लेकिन दूसरी तरफ उसके दिमाग में इस साल मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ समेत कई राज्यों में होने वाले चुनाव भी होंगे. इस वजह से सरकार के ‘मजबूर’ होकर लोकलुभावन ऐलानों की तरफ बढ़ेगी।
‘मजबूर या मजबूत’
अगर सरकार देश को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाने की दिशा बढ़ती है, तो बजट में ‘मजबूत’ कदम उठा सकती है. इसके लिए इंडस्ट्री के अपग्रेडेशन और मौजूदा वर्कफोर्स की रीस्किलिंग के लिए बजट 2023 में विशेष पैकेज का ऐलान करना होगा।
पिछले कुछ वर्षों में भारत ने मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में चीन को कड़ी चुनौती दी है. खासकर कोरोना संकट के बाद से भारत एक बेहतर मैन्युफैक्चरिंग हब के तौर पर तैयार हो रहा है. ऐसे में बजट का नया प्लान आ सकता है. लेकिन अगर सरकार ने चुनावों को ध्यान में रखकर बजट तैयार किया होगा, तो जाहिर है उसे मजबूर होकर वेलफेयर स्कीम्स के मोर्चे पर बड़ा ऐलान करना होगा।
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