नई दिल्ली: उत्तराखंड (Uttarakhand) के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) ने शुक्रवार को कहा कि समान नागरिक संहिता (uniform civil code) का मसौदा तैयार करने के लिये बनाई गई समिति ने अपना कार्य पूरा कर लिया है. पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि जल्द ही प्रदेश में इसे लागू किया जाएगा. पुष्कर सिंह धामी ने कहा, ‘प्रदेशवासियों से किए गए वादे के अनुरूप समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिये बनाई गई समिति ने आज 30 जून को अपना कार्य पूरा कर लिया है और जल्द ही देवभूमि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू किया जाएगा.’
बीते साल विधानसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में दोबारा आई तो प्रदेश में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी. राज्य सरकार ने कानून का मसौदा तैयार करने के लिये पिछले साल विशेषज्ञों की एक समिति गठित की थी. हाई कोर्ट की रिटायर्ड जज और कानून का मसौदा तैयार करने वाली समिति की अध्यक्ष रंजना प्रकाश देसाई ने समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार है और उसे जल्द ही उत्तराखंड सरकार को सौंप दिया जाएगा. समिति ने सभी प्रकार की राय और चुनिंदा देशों के वैधानिक ढांचे सहित विभिन्न विधानों एवं असंहिताबद्ध कानूनों को ध्यान में रखते हुए मसौदा तैयार किया है.
इसके अलावा, समिति ने उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित विभिन्न पारंपरिक प्रथाओं की बारीकियों को समझने की कोशिश की है. रंजना प्रकाश देसाई ने कहा, ‘मुझे आपको यह जानकारी देते हुए काफी प्रसन्नता हो रही है कि उत्तराखंड के लिए प्रस्तावित समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार हो गया है. प्रारूप संहिता के साथ समिति की रिपोर्ट जल्द ही प्रकाशित की जाएगी और उत्तराखंड सरकार को सौंप दी जाएगी.’
उत्तराखंड सरकार ने पिछले साल मई में रिटायर्ड रंजना देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था. इस समिति का गठन उत्तराखंड के निवासियों के व्यक्तिगत दीवानी मामलों से जुड़े विभिन्न मौजूद कानूनों पर गौर करने और विवाह, तलाक, संपत्ति के अधिकार, उत्तराधिकार, विरासत, गोद लेने और रखरखाव जैसे विषयों पर मसौदा कानून या कानून तैयार करने या मौजूदा कानूनों में बदलाव का सुझाव देने के लिए किया गया था. इस संबंध में एक अधिसूचना 27 मई 2022 को जारी की गई थी.
रंजना देसाई ने ने कहा, ‘हमारा जोर महिलाओं, बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए लैंगिक समानता सुनिश्चित करना है. हमने भेदभाव को खत्म कर सभी को एक समान स्तर पर लाने का प्रयास किया है. समिति ने मुस्लिम देशों सहित विभिन्न देशों में मौजूदा कानूनों का अध्ययन किया है लेकिन उनके नाम साझा करने से इनकार कर दिया. हमने विधि आयोग की रिपोर्ट का भी अध्ययन किया है. यदि आप हमारा मसौदा पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि समिति ने हर चीज पर विचार किया है.
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