न्यूयॉर्क। रूस की तरफ से यूक्रेन में जारी हमलों (Ukraine Russia War) के बीच भारतीय समयानुसार रविवार देर रात 1.30 बजे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) की बैठक बुलाई गई। इस बैठक में वोटिंग के जरिए यह फैसला हुआ कि यूक्रेन संकट (Ukraine crisis) के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र महासभा United Nations General Assembly (UNGA) की आपात बैठक बुलाई जाए या नहीं। यूएनएससी(UNSC) में प्रक्रियात्मक वोट से भारत ने परहेज किया। लेकिन 15 सदस्यों में से 11 ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में यूक्रेन युद्ध पर आपात बैठक बुलाने के समर्थन में किया वोट किया। 11 सदस्यों द्वारा समर्थन में वोटिंग करने के बाद यूएनजीए में सोमवार को आपातकालीन सत्र बुलाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
स्थायी सदस्यों ने वीटो का नहीं किया प्रयोग
गौरतलब है कि 1950 से अब तक महासभा के ऐसे केवल 10 सत्र आहूत किए गए हैं, यह 11वां ऐसा आपातकालीन सत्र होगा। यूक्रेन पर रूस के आक्रमण पर 193 सदस्यीय महासभा के आपातकालीन विशेष सत्र पर मतदान कराने के लिए रविवार दोपहर (स्थानीय समयानुसार) 15 देशों की सुरक्षा परिषद में बैठक हुई। यह बैठक यह रूसी वीटो द्वारा यूक्रेन के खिलाफ अपने “आक्रामकता” पर यूएनएससी के प्रस्ताव को अवरुद्ध करने के दो दिन बाद हुई। यूएनजीए सत्र के लिए मतदान प्रक्रियात्मक था इसलिए सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों – चीन, फ्रांस, रूस, यूके और यूएस में से कोई भी अपने वीटो का प्रयोग नहीं कर सकता था।
महासभा के 76वें सत्र के अध्यक्ष अब्दुल्ला शाहिद को जिनेवा में मानवाधिकार परिषद के 49वें नियमित सत्र में शामिल होना था लेकिन उन्होंने ‘यूक्रेन की वर्तमान स्थिति और सुरक्षा परिषद में होने वाले घटनाक्रम के चलते’ यात्रा रद्द कर दी। उन्होंने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र में यूक्रेन के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत सर्जेई किसलितस्या से भी मुलाकात की।
भारत के लिए दुविधा की स्थिति
गौरतलब है कि यूएनएससी में यूक्रेन पर रूस के हमलों के खिलाफ पश्चिमी देशों की तरफ से एक निंदा प्रस्ताव लाया गया था। इस प्रस्ताव का 11 देशों ने समर्थन किया था, जबकि भारत समेत तीन देश इस प्रस्ताव पर वोटिंग से गायब रहे थे। लेकिन युद्ध से हो रही मौतों के बीच भारत ने पहली बार अपने वोट न करने के फैसले पर सफाई जारी की और खेद जताया था। भारत ने साफ कर दिया था कि वह यूक्रेन में हुई तबाही से बेहद चिंतित है और उसे अफसोस है कि कूटनीति का रास्ता काफी जल्दी छोड़ दिया गया।
भारत की तरफ से वोटिंग न करने के बाद ऐसा बयान जारी करना रूस के खिलाफ नाराजगी जाहिर करने से जोड़कर देखा जा रहा था। हालांकि, रूस को नाराज न करने के मद्देनजर अमेरिका ने भी भारत की स्थिति को समझने की बात कही थी।
यूक्रेन के राष्ट्रपति मोदी से मांग चुके हैं समर्थन
इससे पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर ने शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की और अपने देश के खिलाफ रूस के सैन्य हमले को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत से राजनीतिक समर्थन मांगा। इस दौरान, भारत ने दोनों देशों के बीच शांति बहाली के प्रयासों में किसी भी तरह से योगदान करने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जताई।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक मोदी ने वहां जारी संघर्ष की वजह से जान व माल को हुए नुकसान पर गहरी पीड़ा व्यक्त की। उन्होंने भारतीय नागरिकों को जल्द और सुरक्षित निकालने के लिए यूक्रेन के अधिकारियों से उपयुक्त कदम उठाने का भी अनुरोध किया।
वहीं, यूक्रेन के विदेश मंत्री कुलेबा ने एक ट्वीट में कहा था कि उन्होंने भारत से आग्रह किया कि वह रूस के साथ संबंधों में अपने प्रभाव के जरिये यूक्रेन के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को समाप्त करने का प्रयास करे। उन्होंने कहा था, “संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अस्थायी सदस्य के तौर पर भारत से आग्रह किया कि वह यूक्रेन में शांति बहाल करने के लिए आज के मसौदा प्रस्ताव का समर्थन करे।”
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